ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि अमीर देशों के लाखों बच्चों को पीडोफाइल द्वारा अपहरण किया जा रहा है. इसका मतलब ये नहीं है कि बाल यौन तस्करी एक गंभीर चिंता का विषय नहीं है. लेकिन यहां समझना जरूरी है कि चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज और ह्यूमन ट्रैफिकिंग कैसे करते हैं काम
किडनैप किए गए लाखों बच्चों को भूमिगत सुरंगों में कैद किया जाता है, पीडोफाइल द्वारा इनका यौन शोषण और अत्याचार किया जाता है. बता दें कि यौन तस्करी के बारे में ऐसी कई गलत खबरें सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है. जिनका विरोध लॉस एंजिल्स से लंदन तक हैशटैग #saveourchild और #endchildtrafficking के साथ किया जा रहा है. आइए जानते हैं सेक्सुअल एब्यूज और ह्यूमन ट्रैफिकिंग कैसे काम करते हैं.
अक्सर पैरेंट्स सोचते हैं कि उनका बच्चा घर में सुरक्षित है लेकिन ये ऐसा नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी घर में भी बच्चे सुरक्षित नहीं है. दरअसल घर की चार दीवारी के भीतर कई बच्चों को चाइल्ड एब्यूज का सामना करना पड़ता है. चाइल्ड एब्यूज सिर्फ सेक्सुअल एब्यूज ही नहीं बल्कि बच्चे का मानसिक और शारीरिक शोषण भी है.
क्या है चाइल्ड सेक्सुल एब्यूज
ये दो तरह का होता है. एक गंभीर तरह का है जिसमें 21पर्सेंट ऐसे बच्चे आते हैं जिसमें रेप, बच्चे को गलत जगह हाथ लगाना, बच्चे को जबरन छूना, उसके कपड़े उतारना और बच्चे की अश्लील तस्वीरें खींचना. दूसरा कम गंभीर श्रेणी में आता है जिसमें 32 पर्सेंट बच्चे आते हैं इसमें बच्चे को जबरन चूमना और बच्चे को अश्लील वीडियो दिखाना शामिल है.
लोग सोचते हैं कि चाइल्ड एब्यूज सिर्फ लड़कियों के साथ ही होता है लड़कों के साथ भी बाल यौन शोषण के कई मामले सामने आए हैं.
दस में से 1 बच्चे का 18 साल की उम्र से पहले हुआ यौन शोषण
वैश्विक स्तर पर कई स्टडीज की गई हैं जिसमें खुलासा हुआ है कि दस में से एक बच्चे का 18 साल की उम्र से पहले यौन शोषण किया गया जिनमें सात लड़कियों (14%) में से एक और 25 लड़कों (4%) में से एक को सेक्सुअल एब्यूज का सामना करना पड़ा.
ज्यादातर मामलों में परिचित ही निकले अपराधी
ज्यादातर मामलों में परिवार और बच्चों के विश्वासपात्र ही अपराधी निकलते हैं. इसके बाद नॉन बायोलॉजिकल रिलेटिव या किसी इन लॉ द्वारा बच्चो का यौन शोषण करने के मामले सामने आए. वहीं 15% से कम मामलों में अपराधी अजनबी थे.
क्या कहते हैं यूएस और आस्ट्रेलिया के आंकड़े
यूएस ब्यूरो ऑफ़ जस्टिस स्टेटिस्टिक्स के लिए की गई 2000 स्टडी में पाया गया कि 7.5% 17 वर्ष से कम आयु की सभी ज्ञात महिला पीड़ितों और 5% पुरुष पीड़ितों के साथ अजनबियों ने एब्यूज किया। ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 2016 में प्रकाशित किए गए आंकड़ों में पाया गया कि अजनबियों ने 11.5% 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों का यौन शोषण किया और 15% हिस्सा है लड़के भी शिकार बने.
अमेरिका में हर साल 80 हजार बच्चे मिसिंग
वहीं ह्यूमन ट्रैफिकिंग की बात करें तो अमेरिका के मामले में, दावा है कि हर साल 800,000 बच्चे गायब हो जाते हैं। (वैश्विक स्तर पर लागू एक समान दर का मतलब होगा हर साल लगभग 19 मिलियन बच्चे गायब हो जाते हैं.)
एफबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2020 में अमेरिका में 17 वर्ष से कम उम्र के गुमशुदा लोगों की संख्या लगभग 365,000 थी. बता दें कि 2010 के बाद से, अमेरिका में 21 वर्ष से कम उम्र के 350 से कम लोगों का अजनबियों द्वारा अपहरण कर लिया गया.
बच्चों को पीडोफाइल द्वारा किडनैप करने के नहीं मिले हैं सबूत
इन सबके बीच ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि अमीर देशों के लाखों बच्चों को पीडोफाइल द्वारा अपहरण किया जा रहा है. इसका मतलब ये नहीं है कि बाल यौन तस्करी एक गंभीर चिंता का विषय नहीं है. लेकिन यह पेस्टल-क्यू पोर्ट्रेयल के लिए एक अलग समस्या है.