झारखंड में कोरोना वायरस की स्थिति गंभीर दिख रही है और इस बीच हेमंत सोरेन के उस ट्वीट पर राजनीति होती रही, जिसमें उन्होंने पीएम को निशाना बनाया. असम और आंध्र के सीएम (CM of Assam) तक इस बहस में कूद पड़े.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक फोन किया. इस फोन से जुड़ा एक ट्वीट सोरेन ने किया तो हंगामा मच गया. झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी हों या असम के मुख्यमंत्री, कई बीजेपी नेता सोरेन की आलोचना करने के लिए सामने आए और इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी (Y. S. Jagan Mohan Reddy) का नाम भी जुड़ा, जिन्होंने पीएम मोदी का मज़ाक करने पर सोरेन की खिंचाई की.
इस पूरे एपिसोड का दूसरा पहलू यह है कि सोरेन के ट्वीट को 84 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स मिल चुके हैं और करीब 27 हज़ार बार रीट्वीट किया गया है. एक तरफ नेताओं ने आलोचना की हो, तो दूसरी तरफ ट्विटर यूज़रों का समर्थन सोरेन को मिला है. इस पूरे दिलचस्प माजरे के बारे में विस्तार से जानिए.
क्या लिखा था सोरेन ने?
अस्ल में कोरोना वायरस से जुड़ी स्थितियों के बारे में बातचीत करने के लिए बीती 6 मई को पीएम मोदी ने कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन किया था. इसके बाद सोरेन ने ट्वीट किया कि इस फोन कॉल पर ‘पीएम मोदी ने मन की बात की. काम की बात करते और सुनते तो बेहतर होता.’ सोरेन के इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर बहस चलती रही.
Read more:रोचक: झारखंड के पलामू में उल्टी दिशा में क्यों बहती हैं नदियां? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
भाजपा नेताओं ने कैसे की खिंचाई?
बाबूलाल मरांडी ने सोरेन को ‘नाकाम मुख्यमंत्री’ करार दिया और कोविड 19 समेत कई मोर्चों पर सोरेन सरकार को फेल बताया. उन्होंने यह भी कहा कि अपनी ‘नाकामियां छुपाने के लिए वह अपने पद की गरिमा भी खो रहे हैं.’ यही नहीं, ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटरों की बिक्री से जुड़ी खबरों के आधार पर भाजपा ने सोरेन के खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया.
भाजपा नेता बीएल संतोष ने इसे ‘पद के खिलाफ स्तरहीनता’ कहते हुए आलोचना की तो हाल तक असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सोरेन के ट्ववीट को पीएम के साथ ही जनता का भी अपमान बताया. इसके बाद आंध्र के जगनमोहन रेड्डी ने सोरेन को सलाह देते हुए ट्वीट किए कि ‘यह समय आपसी द्वेष नहीं बल्कि साथ मिलकर काम करने का है.’ यह भी कि ‘इस तरह की राजनीति से देश कमज़ोर होता है.’
इसके बाद रेड्डी के पक्ष व विपक्ष में ट्वीट आते रहे. राजनीति से अलग, ट्विटर यूज़र भी दो गुटों में बंटे दिखे. कुछ ने सोरेन के ट्वीट को लगातार जायज़ बताते हुए कहा कि विरोधी तो विरोध करेंगे ही, वहीं कुछ ने इस तरह के ट्वीट की आलोचना करने के लिए झारखंड सरकार विरोधी खबरें तक साझा कीं. बहरहाल, जबकि कोरोना संक्रमण के आंकड़े झारखंड में गंभीर दिख रहे हैं यह बहस अब भी ट्विटर पर ट्रेंड में है.