ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्यूकोरमाइसिस (Mucormycosis) के खतरे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र में इस बीमारी से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सूरत में समय पर इलाज न कराने के कारण कुछ मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ी.
मुंबई. देश में एक ओर जहां कोरोना के संक्रमण (Corona Infection) ने कोहराम मचा रखा है, वहीं कोरोना से मरीजों के लिए एक और खतरा सामने खड़ा हो गया है. कोरोना के साथ मरीजों में म्यूकोरमाइसिस (Mucormycosis) या काले कवक (Black Fungus) का खतरा इतना बढ़ गया है कि उनकी मौत तक हो जा रही है. म्यूकोरमाइसिस के खतरे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र में इस बीमारी से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सूरत में समय पर इलाज न करवाने के कारण कुछ मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ी.
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्याराव लहाने ने कहा कि देश में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. डॉक्टरों का मानना है की यह फंगस पिछले वेव में भी दिखा था लेकिन इस बार यह ज्यादा खतरनाक है. अगर यह फंगस मरीज के दिमाग तक पहुंच गया तो मरीज का बचना काफी मुश्किल होता है. इसके लक्षण है आंखों में जलन, सर दर्द, आधे चेहरे पर सूजन आना, नाक बंद होना, साइनस की तकलीफ, आंखों से चेहरे से ही यह फंगस दिमाग तक पहुंचता है.
कैसे होता है ये इंफेक्शन
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा है कि म्यूकोरमाइकोसिस रोग म्यूकर नाम के फंगस की वजह से होता है जो नम सतहों पर पाया जाता है. उन्होंने यह भी कहा था कि जब कोविड-19 मरीज को ऑक्सीजन प्रणाली पर रखा जाता है तो उसमें वायु को नम रखनेवाला जलयुक्त उपकरण लगा होता है, ऐसी स्थिति में मरीज के कवक संक्रमण की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है.
म्यूकोरमाइसिस के और भी हैं साइड इफेक्ट
सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ नाक कान गला (ईएनटी) सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने कहा, ‘हम कोविड-19 से होने वाले इस खतरनाक फंगल संक्रमण के मामलों में फिर से वृद्धि देख रहे हैं. बीते कुछ दिनों में हमने म्यूकोरमाइसिस से पीड़ित छह रोगियों को भर्ती किया है. बीते साल इस घातक संक्रमण में मृत्यु दर काफी अधिक रही थी और इससे पीड़ित कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी तथा नाक और जबड़े तक की हड्डी गल गई थी.’
कोविड-19 संबंधी जटिलताओं के कारण बढ़े रहे केस
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्याराव लहाने ने कहा कि कवक संक्रमण की बीमारी के बारे में पहले से ही पता है, लेकिन इसके मामले कोविड-19 संबंधी जटिलताओं की वजह से बढ़ रहे हैं जिसमें स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल कई बार रक्त में शर्करा (ब्लड सुगर) का स्तर बढ़ा देता है और कुछ दवाओं का परिणाम रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के रूप में निकलता है.