कोरोना की दूसरी लहर में बुखार आने का मतलब कोरोना पॉजिटिव होना मान लिया गया है। युवाओं पर यह बात काफी हद तक सही साबित हो रही है पर बुजुर्गों के मामले में बुखार वाली थ्योरी ठीक नहीं है। एक ताजा शोध के अनुसार, जरूरी नहीं कि बुजुर्गों को कोरोना होने पर बुखार आए। तो फिर बुजुर्गों में शुरुआत में कोविड-19 संक्रमण की पहचान कैसे हो? इसका जवाब है कि पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल कर लगातार उनके ऑक्सीजन स्तर पर नजर रखी जाए। सिर्फ बुखार को प्रमुख लक्षण मानकर उसकी मॉनिटरिंग करने से न केवल उनकी जान को खतरा हो सकता है बल्कि परिवार के दूसरे सदस्य भी संक्रमित हो सकते हैं।
अमेरिका की वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में कोरोना पर हुए नए शोध के अनुसार, वृद्ध जनों के मामले में शरीर के तापमान की जांच करने की बजाय पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल ज्यादा कारगर है। ताजा शोध मेडिकल जर्नल फ्रंटियर्स इन मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। इसे वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ नर्सिंग की कैथरीन वान सोन और डेबोरा इती ने किया है।
बाकी सभी लक्षण दिखे:
शोधकर्ताओं के अनुसार, गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित 30 प्रतिशत बुजुर्गों को बिल्कुल बुखार नहीं आया या बेहद कम आया। हालांकि, उनमें कोरोना के अन्य लक्षण जैसे थकान, बदन दर्द, सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता का गायब होना आदि दिखे।
ऑक्सीजन स्तर पर रखें नजर:
इसीलिए वैज्ञानिकों ने बुजुर्गों के मामले में शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी (हाइपोक्सिया) को पल्स ऑक्सीमीटर से पहचानने की सलाह दी है। इसके बाद आरटी-पीसीआर जांच से कोरोना की पुष्टि हो सकती है।
ऑक्सीमीटर लगाते वक्त बरतें सावधानी:
-ऑक्सीमीटर को उंगली पर लगाते वक्त हाथ गर्म और आराम से रखें
-जिस उंगली पर ऑक्सीमीटर लगाना हो उससे नेल पॉलिश आदि हटा लें
-ऑक्सीजन स्तर समय-तारीख के साथ नोट करें और बदलाव को समझें
-रीडिंग स्थिर होने तक कुछ समय के लिए ऑक्सीमीटर को लगा रहने दें
रीडिंग पर इन बातों का भी पड़ता है असर:
-कमजोर ब्लड सर्कुलेशन
-त्वचा की मोटाई
-तंबाकू आदि का इस्तेमाल
-चमड़ी पर दाग-धब्बे आदि का होना
-उंगलियों पर स्याही या नेल पॉलिश होने से
-त्वचा का तापमान