पलामू से निकलने वाली नदियां पठार की ढाल से होते हुए गंगा के विशाल मैदान की तरफ प्रवेश करती हैं. गंगा का मैदान पलामू के उतर में स्थित है और इसकी समुद्र तल से ऊंचाई भी कम है. यहां कुछ ऐसी ही वजहें हैं, जिसके चलते नदियों का प्रवाह उल्टी दिशा में है.
पलामू. भारत की अन्य नदियों से अलग झारखंड के पलामू (Palamu) में सभी नदियां उल्टी दिशा में प्रवाहित होती हैं. इन प्रमुख नदियों में उत्तरी कोयल, अमानत, औरंगा जैसी नदियां शामिल हैं. यह बिलकुल ही एक रोचक तथ्य है, जिसपर बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है. झारखंड का छोटानागपुर पठार ऐसे ही कई रोचक तथ्यों को समेटे हुए हैं. इसकी सुंदरता अभी तक दुनिया से छिपी हुई है.
प्रायद्वीपीय भारत का ढाल पश्चिम से पूर्व की तरफ है. यही कारण है कि भारत की अधिकांश नदियों का प्रवाह पश्चिम से पूर्व की तरफ है. साथ ही हिमालय से निकलने वाली सभी नदियों का प्रवाह उतर से दक्षिण की तरफ है. मगर झारखंड की नदियां दक्षिण से उतर की ओर या पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं. पलामू की अमानत और औरंगा नदियां छोटानागपुर पठार से निकलती हैं तथा दोनों का प्रवाह पूर्व से पश्चिम की तरफ है. ठीक उसी प्रकार पलामू में उतरी कोयल नदी का प्रवाह भारत की अन्य नदियों के अलग दक्षिण से उतर दिशा की ओर है.
नदियों के इस प्रवाह का क्या है कारण?
पलामू की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो यह छोटानागपुर पठार के उतर में स्थित है, इसीलिए पलामू से निकलने वाली नदियां पठार की ढाल से होते हुए गंगा के विशाल मैदान की तरफ प्रवेश करती हैं. गंगा का मैदान पलामू के उतर में स्थित है और इसकी समुद्र तल से ऊंचाई भी कम है. यही कारण है कि नदियों का प्रवाह यहां गंगा के समतल मैदान की तरफ है. कारण जो भी है मगर यह तथ्य अपने आप में बहुत रोचक है. जिसपर शायद ही लोग सोचते हैं.
आपको बता दें कि पलामू प्रकृति की सुंदर भेंट के रूप में जाना जाता है. यहां हरे भरे वन और कई वन्य जीवों का यहां आवास है. पलामू के आस पास प्रकृति की कई शानदार जगहें हैं जो यात्रियों का ध्यान हमेशा के लिए रोक सकती हैं. जिसमें बेतला नेशनल पार्क, बरवाडीह का पहाड़ी मंदिर, मंडल जैसी कई शानदार जगहें शामिल हैं.