न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रविंद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि केंद्र को हॉस्पिटल में दाखिले के लिए राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानीय निवास प्रमाण पत्र नहीं होने के आधार पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से इनकार नहीं किया जा सकता.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऑक्सीजन (Oxygen) की किल्लत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को दिशानिर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली की ऑक्सीजन की आपूर्ति 3 मई की मध्यरात्रि या उससे पहले ठीक कर ली जाए. केंद्र सरकार ऑक्सीजन की सप्लाई की व्यवस्था राज्यों से विचार-विमर्श से तैयार करे. साथ ही इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार किया जाए और आपातकालीन स्टॉक की लोकेशन को डिसेंट्रलाइज किया जाए.
Court ने 10 May तक मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आपातकालीन स्टॉक को अगले चार दिनों के भीतर तैयार किया जाना चाहिए और ऐसे इंतजाम किए जाने चाहिए, जिससे राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के मौजूदा आवंटन के अलावा इसे दैनिक आधार पर पुन: भरा जा सके. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह ऑक्सीजन, कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता व मूल्य प्रणाली, आवश्यक दवाएं उचित मूल्य पर मुहैया कराने संबंधी निर्देशों व प्रोटाकॉल का पालन करे और 10 मई को होने वाली अगली सुनवाई में इन सभी मुद्दों पर जवाब दाखिल करे.
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Hospitals में दाखिले पर बने राष्ट्रीय नीति
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रविंद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि केंद्र को हॉस्पिटल में दाखिले के लिए राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए. अदालत ने इसके लिए केंद्र को दो हफ्ते का समय दिया है. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि किसी भी मरीज को स्थानीय निवास प्रमाण पत्र नहीं होने के आधार पर कोई भी राज्य अस्पताल में भर्ती करने या आवश्यक दवा मुहैया कराने से इनकार नहीं कर सकता है.
Fake News पर लगाएं रोक
पीठ ने केंद्र और राज्यों को यह निर्देश भी दिया कि वह अधिसूचना जारी करे कि सोशल मीडिया पर सूचना रोकने या किसी भी मंच पर मदद मांग रहे लोगों का उत्पीड़न करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर रविवार को अपलोड किए गए फैसले की प्रति के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकार सभी मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और पुलिस आयुक्तों को अधिसूचित करें कि सोशल मीडिया पर किसी भी सूचना को रोकने या किसी भी मंच पर मदद की मांग कर रहे लोगों का उत्पीड़न करने पर यह अदालत अपने न्यायाधिकार के तहत दंडात्मक कार्रवाई करेगी.