जम्मू, रोहित जंडियाल: राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू सहित सभी अस्पतालों में कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन सप्लाई की मांग भी लगातार बढ़ रही है। लेकिन इस दौरान जीएमसी प्रशासन ओर सरकार की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। मरीजों को पाइप के माध्यम से सप्लाई की जा रही ऑक्सीजन रास्ते में ही लीक हो राही है। यही नहीं तकनीकी स्टाफ की भारी कमी के कारण मरीज अपने स्तर पर ही ऑक्सीजन का प्रेशर कम कर रहे हैं या फिर बढ़ा देते हैं। इससे भी आक्सीजन की खपत बढ़ रही है और मरीजों की जिंदगी को भी खतरा पैदा हो रहा है।
यह खुलासा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग जम्मू की निदेशक अनु मल्होत्रा की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञों की एक समिति ने आक्सीजन पाइप की हालत का आडिट करने के बाद किया। दो दिन पूर्व ही समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने मेडिकल कालेज जम्मू के अलावा जच्चा-बच्चा अस्पताल गांधीनगर और गांधीनगर के पुराने अस्पताल में आक्सीजन सप्लाई और पाइपों का आडिट किया।
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी अपनी रिपोर्ट में टीम ने कई कमियां निकाली हैं। आडिट के दौरान टीम ने पाया कि मेडिकल कालेज में कुछ जगहों पर आक्सीजन लीक हो रही है। यह शिकायतें पहलें भी की जाती थीं लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अब समिति ने भी स्पष्ट तौर पर कहा कि कुछ जगहों पर जहां पर पाइपें दिखाई दे रही हैं, उनके वाल्व खराब हैं और इस कारण आक्सीजन लीक हो रही है। इन्हें दो दिन के भीतर बदलने के निर्देश दिए गए।
वहीं समिति ने एक और अहम लापरवाही गिनाई। समिति ने अपने दौरे के दौरान पाया कि कोविड वार्ड में भर्ती मरीज अपने स्तर पर ही आक्सीजन का प्रेशर बढ़ा रहे हैं या कम कर रहे हैं। प्रेशर बढ़ाने की जरूरत न हो, तब भी बढ़ाया जा रहा है। कुछ मरीजों ने आक्सीजन का प्रेशर बढ़ाने के बाद मास्क खुले रखे हैं। इससे भी आक्सीजन जाया हो रही है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में तकनीकी स्टाफ बढ़ाने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि आक्सीजन मैनिफोल्ड में आक्सीजन सिलेंडर जरूरत से अधिक बार बदले जा रहे हैं। अगर तकनीकी स्टाफ हाेगा तो इससे समस्या नहीं होगी। यही नहीं लीकेज की समस्या न हो, इसके लिए भविष्य मे समय-समय पर गैस प्लांट और लाइपलाइन की मरम्मत करने की सिफारिश की गई है। समिति ने यह भी कहा है कि इस समय जो आक्सीजन गैस सिलेंडर भरे जा रहे हें, उनका वजन नहीं किया जा रहा है। यह नियमों के अनुसार सही नहीं है।
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विभाग को लीगल मीट्रालोजी विभाग कह मदद से बीच-बीच में सिलेंडर उठाकर उनका वजन करने की जरूरत है ताकि इससे यह पता चल सके कि आक्सीजन की सप्लाई बराबर हो रही है या नहीं। समिति ने यह भी पाया कि इस समय जच्चा-बच्चा अस्पताल में एक हजार आक्सीजन सिलेंडर, 240 पुराने गांधीनगर अस्पताल और तीन हजार आक्सीजन सिलेंडर मेडिकल कालेज में हें। समिति ने इनकी संख्या को बढ़ाने पर भी जोर दिया है। पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देकर आक्सीजन सप्लाई करने वाली पाइप के वाल्व का निरीक्षण करने को कहा है ताकि लीकेज न हो। वहीं समिति ने कहा है कि गांधीनगर अस्पताल में 2200 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाला जो आक्सीजन जेनरेशन प्लांट बनाया जा रहा है, उसे जल्दी से जल्दी बनाया जाए ताकि आक्सीजन की कहीं पर कमी न हो।
इस समिति में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की निदेशक अनु मलहोत्रा के अलावा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के संयुक्त निदेशक अमित वरमानी, गवर्नमेंट कालेज आफ इंजीनियरिंग एंट टेक्नालोजी जम्मू के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी डा. सरबजीत सिंह, श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा1 अंकुश आनंद, इंडियन इंस्टीटयूट आफ टेक्नालोजी जम्मू के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के फैकल्टी सदस्य राकेश सिंघल, उद्योग एवं वाणिज्य निदेशालय जम्मू में अधिकारी सक्षम गुप्ता, जिला उद्योग विभाग में अधिकारी रोहित संगराल, हिमांशु खजूरिया और कठुआ से सचिन शर्मा शामिल थे।