PPF देश की सबसे लोकप्रिय सेविंग स्कीम में से एक है। इस स्कीम के लिए मेच्योरिटी की अवधि 15 साल है। लेकिन कई बार आपके सामने ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जब आप अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए न्यूनतम जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) सबसे बढ़िया ब्याज देने वाली छोटी बचत योजनाओं में शुमार है। यह केंद्र सरकार द्वारा समर्थित स्कीम है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग इस स्कीम में निवेश करना चाहते हैं। यह देश की सबसे लोकप्रिय सेविंग स्कीम में से एक है। इस स्कीम के लिए मेच्योरिटी की अवधि 15 साल है। लेकिन कई बार आपके सामने ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जब आप अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए न्यूनतम जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं। इस वजह से आपका पीपीएफ अकाउंट निष्क्रिय हो जाता है।
चूंकि आप किसी भी एक्टिव पीपीएफ अकाउंट में ही पैसे जमा कर सकते हैं या निकाल सकते हैं। ऐसे में अकाउंट निष्क्रिय हो जाने के बाद आप कुछ नहीं कर पाते हैं।
आइए जानते हैं कि किन परिस्थितियों में आपका पीपीएफ अकाउंट निष्क्रिय हो जाता हैः
टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक पीपीएफ अकाउंट को सक्रिय रखने के लिए हर साल न्यूनतम 500 रुपये का अंशदान करना होता है। अगर आप किसी भी वित्त वर्ष में ऐसा नहीं कर पाते हैं तो आपका पीपीएफ अकाउंट निष्क्रिय हो जाता है।
जैन के मुताबिक अकाउंट निष्क्रिय होने के बावजूद आपको कुल जमा राशि पर ब्याज मिलता रहता है और 15 साल की अवधि पूरी होने पर आप अपनी रकम निकाल सकते हैं। इसका मतलब है कि आपकी कुल जमा राशि जब्त नहीं होती है। हालांकि, खाता निष्क्रिय हो जाने के बाद आप पीएफ अकाउंट पर लोन नहीं ले सकते हैं और आंशिक निकासी नहीं कर पाते हैं।
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अकाउंट को फिर से एक्टिवेट कराने का तरीका
जैन ने कहा कि जिस वर्ष से आपने भुगतान नहीं किया है, उसके बाद से हर साल के हिसाब से न्यूनतम 500 रुपये प्रतिवर्ष का और 100 रुपये का जुर्माना हर साल के हिसाब से भरना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि पीपीएफ अकाउंट के एक्टिव रहने पर कोई भी पीपीएफ अकाउंटहोल्डर खाते के तीन साल पूरा होने के बाद 25 फीसद तक का लोन ले सकता है। इतना ही नहीं पांच साल के निवेश के बाद आंशिक निकासी कर सकता है।
पीपीएफ अकाउंट पर ब्याज
ब्लिक प्रोविडेंट स्कीम के तहत इस समय 7.1 फीसद का ब्याज मिल रहा है। केंद्र सरकार हर तिमाही से पहले अगली तिमाही के लिए ब्याज दर तय करती है।