नई दिल्ली, एजेंसी। मतगणना के दिन नतीजों के बाद किसी तरह के विजय जुलूस या जश्न पर प्रतिबंध के चुनाव आयोग के फैसले का भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव आयोग द्वारा परिणामों के बाद विजय जुलूस पर प्रतिबंध के फैसले का स्वागत करती है। मैंने भाजपा की सभी राज्य इकाइयों को इस निर्णय का पालन करने का निर्देश दिया है। हमारा हर कार्यकर्ता पूरी ऊर्जा के साथ इस संकट की घड़ी में आम जन की सेवा में निरंतर लगा रहेगा। सभी राज्यों की भाजपा इकाइयां विधानसभा चुनावों और उप चुनावों के परिणामों के दिन चुनाव आयोग के आदेश और कोविड सम्बन्धी प्रोटोकालों का अक्षरशः पालन करेंगी।मेरा सभी कार्यकर्ताओं और देशवासियों से आग्रह है कि अभी अधिक से अधिक स्वास्थ्य सम्बंधी नियमों का पालन करे और जागरूकता बढ़ायें।
ज्ञात हो कि देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव आयोग ने मतगणना के दिन नतीजों के बाद किसी तरह के विजय जुलूस या जश्न पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पडुचेरी में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे 2 मई को घोषित किए जाएंगे। नतीजों के बाद प्रत्याशी सिर्फ दो लोगों के साथ रिटर्निंग ऑफिसर से जीत का सर्टिफिकेट लेने जा सकता है।
Read more:Google सीईओ सुंदर पिचाई का ऐलान- कोरोना से जंग के लिए भारत को देंगे 135 करोड़ रुपये
कोरोना से बचाव के लिए चुनाव आयोग ने सतर्क रहकर उठाए कदम
ज्ञात हो कि मद्रास हाईकोर्ट की आलोचना का जवाब देते हुए आयोग के सूत्रों ने कहा था कि आयोग ने पहले बिहार में और फिर चार राज्यों एवं एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव के दौरान कोरोना से बचाव सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाए। कोरोना से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन कानून का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की जिम्मेदारी है, लेकिन आयोग ने संक्रमण से लोगों को बचाने के मकसद से बंगाल में प्रचार मुहिम पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों को लागू किया।
एक अधिकारी ने कहा कि नवंबर, 2020 में सफलतापूर्वक बिहार विधानसभा चुनाव कराने के लिए आयोग की क्षमता की व्यापक प्रशंसा हुई थी। उन्होंने कहा, ‘उस समय महामारी अपने न्यूनतम स्तर पर थी। देश में फरवरी में प्रतिदिन करीब 11,000 नए मामले सामने आ रहे थे और जनवरी-फरवरी में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में उपचाराधीन मामलों में गिरावट आ रही थी। टीकाकरण चालू हो गया था और आर्थिक सुधार के संकेत मिलने लगे थे।’