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जानिए क्‍या है कोरोना में ऑक्‍सीजन स्‍तर ठीक करने का देसी उपाय

oxygen tankers

कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ ही ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक संक्रमण के शुरुआती दिनों में ही अगर मरीज पर ध्यान दिया जाए तो इस आपाधापी से बचा जा सकता है। ज्यादातर मामलों में घर पर संक्रमण मैनेज हो सकता है। इसको लेकर कुछ एहतियात बरतने होंगे।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्र ने बताया कि कोरोना के कोई भी लक्षण होने पर तत्काल आइसोलेट हों लें। होम आइसोलेशन में तय दवाओं को तत्काल शुरू कर दें। रिपोर्ट का इंतजार कर वायरस को पनपने का मौका न दें। इसकी गाइडलाइन भी स्वास्थ्य विभाग ने जारी कर दी है। चेस्ट फिजीशियन डॉ. ऋषभ गोयल ने बताया कि पहले सप्ताह वायरस तेजी से शरीर में बढ़ता है। इस समय से संक्रमण के लक्षण सामने आने लगते हैं। इसको नजरअंदाज न करें। सात से नौ दिन पर सीटी स्कैन कराकर फेफड़े में शुरुआती दौर में संक्रमण को पकड़ें। यदि सांस पहले ही फूलने लगे तो समय से पहले ही सीटी स्कैन कराएं।

ऑक्सीजन 90 से नीचे हो तब ही हों भर्ती

फिजीशियन डॉ. गौरव पाण्डेय के मुताबिक अगर ऑक्सीजन का स्तर 90 से 95 के बीच है तो सतर्क होने की जरूरत हैं। हालांकि इतने पर भी घर पर मैनेज किया जा सकता है। ऐसा होने पर घबराएं नहीं। दवा के साथ-साथ मरीज को प्रोन वेंटिलेशन (पेट के बल लिटाकर) पर रखें। मरीज सीने के पास तकिया लगाकर लेटे हुए सांस लें और फिर छोड़े। इससे ऑक्सीजन स्तर मेंटेन हो जाएगा।

एआरडीएस से गड़बड़ा जाती है श्वसन प्रक्रिया

डॉ. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि एक्यूट रेस्परेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) के कारण फेफड़े के निचले हिस्से में पानी आ जाता है। पीठ के बल मरीज के लेटे रहने से फेफड़े के निचले हिस्से की एल्बुलाई में खून तो पहुंचता है, संक्रमण की वजह से ऑक्सीजन और कॉर्बन डाइऑक्साइड को निकालने की प्रक्रिया नहीं हो पाती है। मरीज को पेट के बल लिटाने से फेफड़े में संकुचन कम हो जाता है। प्रेशर हल्का हो जाता है और पूरे फेफड़े में रक्त का संचार अच्छे से होने लगता है। कॉर्बन डाइऑक्साइड के निकलने से ऑक्सीजनेशन की प्रक्रिया में सुधार आता है।

बेड न मिले तो घर पर दें ऑक्सीजन सपोर्ट

चेस्ट फिजीशियन डॉ. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि ऑक्सीजन 90 से कम होने पर अस्पताल में मरीज को भर्ती कराएं। तत्काल बेड न मिलें तो निराश न हों। ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट दें। इस दौरान ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का स्तर नापतें रहे। ऑक्सीजन लेवल जब 90 के ऊपर स्थिर हो जाए तो सपोर्ट धीरे-धीरे कम करें।

ऑक्सीजन मेंटेन में यह भी उपाय हैं कारगर

 पेट के बल लेट कर गहरी सांस लें, इससे फेफड़े अच्छी तरह से काम करते हैं

– बाईं तरफ करवट लेकर 30 मिनट तक लेटे रहें, इससे ऑक्सीजन लेवल सुधारने में मदद मिलती है

– संक्रमित 30 मिनट तक बेड पर सीधे बैठ जाएं, इससे भी फायदा मिलता है

– संक्रमित 30 मिनट तक दाईं करवट लेटे और सांस लेते रहें

– जल्दी-जल्दी सांस लेने के बजाय गहरी सांस लें, यह प्रक्रिया ऑक्सीजन लेवल सुधारती है

– मुंह को सूखने ना दें, समय-समय पर पानी पीते रहें, प्यास लगने का इंतजार न करें

– कमरे की खिड़कियां खोल लें और ताजी हवा आने दें

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