रांची, जासं। काेरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच राजधानी रांची के बरियातू रोड स्थित आलम नर्सिंग होम में भर्ती 60 मरीजों की जान खतरे में पड़ गई थी। नर्सिंग होम की ओर से शुक्रवार को यह सनसनीखेज खुलासा किया गया। दावा किया गया कि अस्पताल प्रबंधन ने तकनीकी सहयोग के लिए पहले रिम्स प्रशासन और फिर रांची जिला प्रशासन से सहयोग मांगा। अस्पताल को समय पर मदद मुहैया नहीं कराई गई। अस्पताल प्रबंधन की ओर से जिले के उपायुक्त छवि रंजन और उप विकास आयुक्त विशाल सागर को वाट्सएप पर भेजे गए अनुरोध पत्र का स्क्रीन शॉट सबूत के तौर पर जारी किया गया।
रांची जिला प्रशासन ने अस्पताल के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। डीडीसी की तरफ से जानकारी दी गई कि गुरुवार की रात अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई में तकनीकी परेशानी की सूचना प्राप्त होते ही मैकेनिक की व्यवस्था कर इसे ठीक कराया गया। शुक्रवार को एक बार फिर वही समस्या आ गई। स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन की मदद के लिए विशेष रूप से एक आइएएस अधिकारी को प्रतिनियुक्त कर दिया गया है। अस्पताल प्रबंधन से कहा गया है कि वैकल्पिक व्यवस्था के साथ समस्या का स्थायी समाधान कराया जाए। अस्पताल में वर्तमान में 55 कोविड मरीज ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड पर इलाजरत हैं।
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कुछ ऐसा है पूरा मामला
दरअसल, कोरोना महामारी के कारण मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ अस्पतालों को बेड के साथ-साथ तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लगातार ऑक्सीजन सप्लाई के कारण सप्लाई लाइन में दिक्कत आ जाती है। कभी-कभी सप्लाई लाइन में रिसाव शुरू हो जा रहा है। स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू होने के कारण मैकेनिक और पार्ट्स की व्यवस्था करने में अस्पताल प्रबंधन के पसीने छूट रहे हैं। आलम अस्पताल में पिछले एक सप्ताह से सप्लाई पाइप लाइन में दिक्कतें आ रही हैं।
कभी वॉल्ब खराब हो जाता है तो कभी गैस का रिसाव शुरू हो जाता है। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से जानकारी दी गई कि गुरुवार की रात और शुक्रवार को दोपहर के समय सप्लाई सिस्टम में रिसाव शुरू हो गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने रिम्स से तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराने की गुहार लगाई। लेकिन रिम्स ने सहयोग करने से साफ मना कर दिया। जिला प्रशासन से मदद मांगने को कहा। शुक्रवार को अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासन के आला अधिकारियों को फोन किया। लिखित पत्र भेजा।
अस्पताल का कहना है कि प्रशासन की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। इस कारण 60 मरीजाें की जान खतरे में आ गई। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अस्पताल ने प्राइवेट मैकनिक से सप्लाई सिस्टम ठीक कर लिया है। प्रशासन ने अस्पताल को सहयोग नहीं देने के दावे को पूरी तरह गलत करार दिया है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि समस्या के स्थायी समाधान के लिए सरकार को 24 घंटे मेंटिनेंस सेवा उपलब्ध करानी चाहिए।
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अस्पताल का दावा
दैनिक जागरण से बातचीत में आलम हॉस्पिटल के प्रबंधक नवीन कुमार ने कहा कि वर्तमान समय में मैकेनिक मिलना मुश्किल हो गया है। सामान भी नहीं मिल रहा। शुक्रवार को जब रिम्स ने मदद से इन्कार कर दिया तो जैसे-तैसे मैकेनिक खोज कर सप्लाई लाइन को ठीक किया गया लेकिन खराबी कभी भी उत्पन्न हो सकती है। दिन में तो जैसे-तैसे मैकेनिक मिल भी जाता है, समस्याएं रात में हुई तो क्या होगा। इसके लिए राज्य सरकार को मैकेनिक सुविधा और पार्ट्स की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि जब भी जरूरत हो तो फोन कर बुलाया जा सके। अगर तत्काल ऑक्सीजन सप्लाई लाइन को दुरुस्त नहीं किया गया तो मरीजों की जान जा सकती है।
प्रशासन का पक्ष
रांची के डीडीसी विशाल सागर ने कहा कि समस्या की जानकारी गुरुवार की रात को ही प्राप्त हो गई थी। तत्काल प्रशासन ने अस्पताल प्रबंधन की मदद कर इसे ठीक कराया। शुक्रवार को दोबारा परेशानी हुई। इसे स्थायी तौर पर ठीक कराने का आग्रह अस्पताल प्रबंधन से किया गया। इस बारे में अस्पताल प्रबंधन के साथ बात भी हुई। एक आइएएस अधिकारी को विशेष रूप से व्यवस्था देखने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है। मरीजाें की जान पर खतरे से संबंधित अस्पताल के दावे के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में ताकीद कर दिया गया है कि कुछ भी लिखने से पहले इस बारे में ठीक से विचार करें।