कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रतिबंधों और लॉकडाउन ने वाहन उद्योग के सामने बड़ी चिंता पैदा कर दी. अप्रैल में गाड़ियों की बिक्री में भारी कमी की आशंका है.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को रोकने के लिए लगे प्रतिबंधों की वजह से आवाजाही कम होने का असर गाड़ियों की बिक्री पर पड़ता दिख रहा है. अप्रैल में गाड़ियों की बिक्री एक तिहाई घटने की आशंका है. पिछले दो सप्ताह के दौरान गाड़ियों की बिक्री में बढ़ोतरी दिख रही थी. लेकिन लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों की वजह से गाड़ियों की बिक्री घटने लगी है.
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वाहन उद्योग अभी तक पूरा नहीं कर पाया है 6000 करोड़ का घाटा
नवंबर-दिसंबर के बाद जब कोरोना संक्रमण के मामले कम होने लगे थे तो ऑटोमोबाइल डीलरों ने गाड़ियों की बिक्री में तेजी की उम्मीद की थी लेकिन इंडस्ट्री के 6000 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का नुकसान अभी पूरा नहीं हो पाया था. कोरोना संक्रमण को काबू करने के लिए लगे कड़े लॉकडाउन में कई शहरों में सैकड़ों शोरूम और डीलरों को अपनी दुकान बंद करने पर मजबूर कर दिया.
गाड़ियों की रिटेल बिक्री में गिरावट
देश में हर महीने गाड़ियों की रिटेल बिक्री 38 हजार करोड़ रुपये की होती है. मार्च की तुलना में बिक्री 38 फीसदी तक घट चुकी है. शो-रूम में आने वाले ग्राहकों की संख्या में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. बुकिंग 25 फीसदी कम हो गई है. डीलरों की कमाई के एक प्रमुख स्त्रोत गाड़ियों की सर्विसिंग में भी गिरावट आई है. इसमें 30 फीसदी की गिरावट आई है. कई डीलरों को कर्मचारियों की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोटिव डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी का कहना है कि देश भर में तो लॉकडाउन लगने की गुंजाइश नहीं दिखती लेकिन राज्यों में रुक-रुक कर लग रहे लॉकडाउन और कोरोना प्रतिबंधों की वजह से गाड़ियों की बिक्री पर जरूर असर पड़ेगा.