Rajasthan

Big News: गहलोत सरकार कोरोना काल में फिर से कर्मचारियों के वेतन में कर सकती है कटौती, तैयारियां पूरी- सूत्र

Gehlot government can curtail salary of employees : कोरोना की दूसरी लहर के बाद फिर से गहलोत सरकार की आर्थिक सेहत (Financial health) खराब होती जा रही है. इसके कारण इस बार भी कर्मचारियों के वेतन पर कटौती की कैंची चलने की संभावना जताई जा रही है.

जयपुर. कोरोना (Covid-19) की दूसरी लहर से राजस्‍थान में मचे हड़कंप के बाद अब एक बार फिर से 6 लाख कर्मचारियों के वेतन कटौती (Salary deduction) की सुगबुगाहट तेज हो गई है. गहलोत सरकार (Gehlot Government) एक बार फिर कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर सकती है. कर्मचारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री और विधायकों के वेतन को भी कटौती के दायरे में रखा जाएगा. सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग (Finance department) ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है.

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वित्त विभाग को मुख्‍यमंत्री कार्यालय की हरी झंडी का इंतजार है. हालांकि, वित्त विभाग के अधिकारी वेतन डेफर रखने की बात से इनकार कर रहे हैं. लेकिन, सूत्रों के अनुसार राज्य की आर्थिक सेहत ठीक नहीं है. राजस्व की प्राप्ति नहीं हो पा रही है. सरकार को कोरोना की दूसरी लहर की रोकथाम के लिए धन की आवश्यकता है.

केन्द्र सरकार ने गेंद राज्य के पाले में डाली
केन्द्र सरकार ने वैक्सीन खरीदने का अधिकार राज्य सरकारों को देखकर गहलोत सरकार का सिरदर्द बढ़ा दिया है. अब गहलोत सरकार को तय करना है कि वह वैक्सीन खरीदेगी या फिर वैक्सीन के लिए केन्द्र सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाएगी. मौजूदा समय में प्रदेश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और राजस्थान में टैक्स कलेक्शन भी कम हुआ है. ऐसे में राज्य सरकार को कर्मचारियों के वेतन डेफर करने पर ही करीब 1 हजार 600 करोड़ रुपये मिल सकेंगे.
गत वर्ष 75 फीसदी तक डेफर किया गया था वेतन

गहलोत सरकार ने पिछले साल मार्च में करीब 6 लाख सरकारी कर्मचारियों का 75 फीसदी वेतन स्थगित कर दिया था. बाद में मुख्यमंत्री ने बजट भाषण ने इसे दोबारा लौटाने की बात कही थी. बताया जा रहा है कि मेडिकल स्टाफ, पुलिस, संविदाककर्मी और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों का वेतन इस बार भी डेफर नहीं किया जाएगा.

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इसलिए हो सकती है वेतन कटौती

– प्रदेश में 3 मई तक मिनी लॉकडाउन है. यह आगे भी बढ़ सकता है.

– कई औद्योगिक इकाइयों में आंशिक उत्पादन हो रहा है. श्रमिक वर्ग भयभीत है. काम पर नहीं आ रहे हैं.

– व्यावसायिक गतिविधियां ठप हैं. इससे मार्च में अनुमानित 10 हजार करोड़ रुपये के राजस्व अर्जन में बड़ी कमी आई है.

– जन अनुशासन पखवाड़ा की वजह से राजस्व आय से संबंधित कई विभागों में भी कामकाज प्रभावित हुआ है.

– राज्य सरकार को केन्द्र से जीएसटी की बकाया राशि नहीं मिली है.

– नकारात्मक प्रभाव से विकास की कमजोर गति के चलते सकल राज्य घरेलू उत्पाद के लक्ष्यों की प्राप्त नहीं हो रही है.

– राज्य में राजस्व संकलन का प्रवाह भी अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाया है.

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