उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पुलिस ने एक गैंग का भंडाफोड़ किया है। यह गैंग 2000 भाई-बहन मिलकर चला रहे थे। लोगों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी करके यह गैंग लग्जरी लाइफ जी रहा था। उन्हें देखकर अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि वे ठगी का काम करते थे।
गाजियाबाद
इंश्योरेंस कंपनी के कर्मचारी बनकर पूरी होने वाली पॉलिसी में कुछ और रुपये डालने के बाद सीधा डबल प्रीमियम देने की बात कर देशभर के सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गैंग के सात लोगों को गाजियाबाद साइबर सेल और कविनगर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस गैंग के गिरोह को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि ये फ्रॉड करते थे। ब्रांडेड कपड़े पहनना, महंगे फोन रखा और लग्जरी गाड़ियों में चलना इसका शौक था।
गैंग को भाई-बहन की जोड़ी अपने साथियों के साथ मिलकर चला रही थी। एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि गैंग पहले दिल्ली से ऑपरेट हो रहा था और करीब सात महीने पहले गाजियाबाद के कौशांबी क्षेत्र में क्लाउड नाइन से चलाया जा रहा था।
500 लोगों का रेकॉर्ड पुलिस को मिला
इस गैंग ने हैदराबाद, मुंबई, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश समेत देश के करीब हर हिस्से में लोगों के साथ ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया है। ठगों द्वारा टारगेट किए गए 500 लोगों का रेकॉर्ड तो पुलिस को मिल गया है। अन्य के बारे में जानकारी की जा रही है।
2000 को मानता था लकी नंबर
पुलिस ने बताया कि अक्षय 2000 को अपना लकी नंबर मानता था इसलिए उसने अपने गैंग का नाम गैंग-2000 रखा था। इतना ही नहीं उसके पास जितनी गाड़ियां हैं उनके नंबर भी 2000 हैं। यहां तक कि उसके वीआईपी मोबाइल नंबर में भी 2000 आता है।
50 करोड़ की ठगी का दावा
पुलिस का दावा है कि करीब 6 साल में गैंग 2000 से ज्यादा लोगों से 50 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुका है। जिसमें हैदराबाद के एक व्यक्ति से 80 लाख रुपये की ठगी भी शामिल है। एसपी सिटी ने बताया कि गैंग को सुमित और प्रदीप ने तैयार किया था। जिसमें सुमित की बहन ज्योति भी शामिल थी। अक्षय के पास लोगों का डेटा था। चारों के साथ साथ राहुल, रूपेश और पिंकी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गैंग के कुछ अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी की गई है। उन्हें भी गिरफ्तार करने के लिए पुलिस दबिश दे रही है।
2020-21 तक पूरी होने वाली पॉलिसी का डेटा मिला
सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि बदमाशों के पास से 2020 और 2021 में देश के कई हिस्सों में रहने वाले लोगों की पूरी होने वाली पॉलिसी का डेटा इनके पास से मिला है। डेटा में उनके बारे में पूरी जानकारी दी गई है। जिसका फायदा उठाकर ठग लोगों को टारगेट कर उनकी जेब काट रहे हैं।
ऐसे होती है ठगी
पुलिस के अनुसार बदमाश उपलब्ध डेटा के अनुसार लोगों को कॉल करते रहते हैं। इस दौरान उस कंपनी का कर्मचारी बन कर बात करते हैं, जहां से टारगेट की पॉलिसी होती है। इसके बाद उन्हें उनकी ही डिटेल से देखकर पॉलिसी जल्द पूरी होने की जानकारी दी जाती है। विश्वास जीतने के बाद ठग उन्हें एक स्कीम के बारे में जानकारी देते थे। जिसमें फौरन कुछ और रुपये जमा करने के बाद उन्हें पॉलिसी से मिलने वाले रुपये का दोगुना मिलने की बात बताई जाती थी। इसके बाद बदमाश एक ई-चेक भी लोगों को भेजते थे। उन्हें बताया जाता था कि उनका नाम स्पेशल ऑफर में आया है और उनके नाम का चेक भी तैयार है, अगर फायदा नहीं उठाएंगे तो उनका लाखों रुपये का नुकसान होगा। इस तरह से लोगों को झांसे में लेकर भी ठगी करते हैं।
रुपये लेने के लिए किराए के खाते का करते थे इस्तेमाल
पुलिस के अनुसार ठग रुपये लेने के लिए कमीशन पर किराए के अकाउंट लिया करते थे। इस दौरान लोगों के फ्रेश अकाउंट भी खुलवाए जाते थे। जिसमें लाखों रुपये आने के बाद कुछ पर्सेंट उन लोगों को दिया जाता था, जिसके खाते होते थे। इस दौरान लोगों को बताया जाता था कि इनकम टैक्स से बचने के लिए वह ऐसा कर रहे हैं। जिससे लोग आसानी से अपनी डिटेल भी दे दिया करते थे। पुलिस सभी खाते की जांच कर रही है।
पीड़ितों का रखते हैं डेटा
पुलिस के अनुसार बदमाश जिन लोगों के साथ ठगी करते थे। उनका डेटा कुछ समय के लिए संभाल कर रखते थे। कई लोगों से रुपये कई बार में लिए जाते थे। इस संबंध में पुलिस को कुछ मेसेज भी मिले हैं। जिसमें पीड़ित द्वारा और रुपये लेने की बात कर रहे हैं।
ठगी से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
– इंश्योरेंस पॉलिसी लेप्स और मैच्योर समेत अन्य किसी भी जानकारी के लिए आए कॉल के दौरान दूसरी तरफ से दी जा रही जानकारी पर विश्वास कर एक्शन न लें। इस संबंध में बैंक और संबंधित कंपनी से संपर्क करें।
– किसी भी प्रकार की पॉलिसी में अचानक से कुछ फेरबदल कर लाखों रुपये का फायदा नहीं होता है। इस प्रकार लोकलुभावने वादों पर अलर्ट हो जाएं।
– इंश्योरेंस पॉलिसी के संबंध में एक ही अकाउंट से डील करें। इस संबंध में कोई जानकारी होने पर ऑफिस जाकर या कस्टमर केयर के जारी नंबर पर ही कॉल करें।
– इंश्योरेंस कंपनी कभी तत्काल रुपये बैंक अकाउंट में डालने की बात नहीं करती है।
– ठग रुपये डालने के लिए समान्य अकाउंट का नंबर देते हैं, लेकिन ज्यादा रुपये के लालच में उसे लोग चेक नहीं करते हैं। किसी भी अनजान अकाउंट में रुपये डालने से पहले उसे चेक जरूर करें।
– ऐसे लोग जो कुछ रुपये के लालच में अपने अकाउंट में बड़े ट्रांजेक्शन को बिना उसके सोर्स के जाने अनुमति देते हैं, ऐसे लोग भी अलर्ट रहें, उन पर भी एक्शन लिया जा सकता है।