बातचीत की अगुवाई लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने की. पिछले महीने आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि पैंगोग के आसपास के इलाके से सैनिकों के पीछे हटने से भारत को खतरा ‘कम’ हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ.
नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को चीन (China) के साथ 11 वें दौर की सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर जोर दिया. सूत्रों ने इस बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय क्षेत्र में चुशुल सीमा क्षेत्र पर पूर्वाह्न करीब साढ़े दस बजे कोर कमांडर स्तर की 11वें दौर की बैठक शुरू हुई और रात करीब 10 बजे तक यह वार्ता जारी थी.
भारत की दो टूक
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जल्द से जल्द गतिरोध वाले शेष स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने पर जोर दिया. दसवें दौर की सैन्य वार्ता 20 फरवरी को हुई थी. इससे दो दिन पहले दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिक और हथियारों को पीछे हटाने पर राजी हुईं थीं. वो बातचीत करीब 16 घंटे तक चली थी.
भारत को खतरा ‘कम’ तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं: सेना प्रमुख
शुक्रवार को शुरू हुई वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने की. पिछले महीने थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे (General MM Naravane) ने कहा था कि पैंगोग झील (Pangong Lake) के आसपास के इलाके से सैनिकों के पीछे हटने से भारत को खतरा ‘कम’ तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ.
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पैंगोंग झील के आसपास हुई हिंसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी. कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जतायी थी.