नए प्रस्तावित नियमों के मुताबिक अगर एक किलो फ्रूट जूस में 15 फीसदी से ज्यादा शुगर मिलाया जाता है तो पैकेट पर शुगर एडेड फ्रूट जूस लिखना होगा.
फूड कंपनियों को अब फ्रूट जूस के पैकेट पर ‘स्वीटेन्ड फ्रूट जूस’ यानी मीठा फ्रूट जूस का लेबल लगाना पड़ सकता है. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड यानी बीआईएस का कहना है कि अगर फ्रूट जूस के लिए सर्टिफिकेशन चाहिए तो फ्रूट जूस के पैकेट पर शुगर या सीरप बेस फ्रूट जूस लिखना पड़ सकता है. बीआईएस ने कहा है कि चाहे फ्रूट जूस हो फ्रूट कंस्ट्रेट, इसमें शुगर एडेड या स्वीटेन्ड फ्रूट जूस लिखना होगा. अगर एक किलो जूस में 15 ग्राम से ज्यादा शुगर मिलाया जाता है तो शुगर एडेड लिखना होगा.
जूस के नाम के नीचे ही लिखना पड़ेगा शुगर का लेवल
बीआईएस का कहना है कि इसका जिक्र फ्रूट जूस के नाम नजदीक ही करना होगा, ताकि यह उपभोक्ताओं को साफ तौर पर दिख सके. बीआईएस ने कहा गया है कि सभी तरह के फ्रूट जूस, फ्रूट प्योरी, फ्रूट नेक्टर और इससे संबंधित प्रोडक्ट के मानकीकरण के लिए व्यापक स्टैंडर्ड बनाए गए हैं. बीएसआई की वेबसाइट में शुगर लेबलिंग को लेकर प्रस्ताव डाल दिए गए हैं. आम लोग इस पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं. फूड इंडस्ट्री से जुड़े एक एक्सपर्ट के मुताबिक हालांकि एफएसएसआई के रेगुलेशन बीआईएस के नियमों से मेल खाते हैं लेकिन शुगर के तौर पर स्वीटनर्स की मात्रा का लेबल पर जिक्र करने के मामले में अंतर है.
एफएसएसआई में हैं नियम लेकिन नए मानक हो सकते हैं जारी
ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुबोध जिंदल का कहना है कि एफएसएस एक्ट के तहत ही फूड स्टैंडर्ड के नियमों को समाहित कर दिया गया है. इसलिए अलग से कोई दूसरा फूड स्टैंडर्ड बनाना भ्रम ही पैदा करेगा. हालांकि बीआईएस ने कहा है कि शुगर लेबलिंग को अनिवार्य बनाने के दौरान एफएसएस एक्ट के तहत पहले से बने नियमों पर पूरी तरह गौर किया जाएगा. हालांकि नई गाइडलाइंस के तहत अगर जरूरत पड़ी तो शुगर लेबलिंग से जुड़े नियम जल्द लागू किए जाएंगे.