नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। महामारी के इस दौर में हेल्थ इंश्योरेंस की अहमियत काफी बढ़ गई है। आधुनिक समय में स्वास्थ्य सेवाएं काफी खर्चीली हो गई हैं और हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होने पर काफी दिक्कतें पेश आती हैं। हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होने पर कोई भी गंभीर बीमारी व्यक्ति पर बड़ा आर्थिक बोझ डाल सकती है। कभी-कभी इससे उबरना अत्यंत कठिन हो जाता है। ऐसे में हम सभी के पास हेल्थ इंश्योरेंस जरूर होना चाहिए। पहली बार हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने वाले लोग इससे जुड़े विभिन्न शब्दों से भली-भांति अवगत नहीं होते हैं, जिससे उन्हें परेशानी होती है। हम आज आपका हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कुछ अहम शब्दों से परिचय करवाएंगे।
को-पेमेंट
अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने जा रहे हैं, तो इस पहलू को आपको अपने ध्यान में रखना चाहिए। को-पेमेंट या को-पे का मतलब होता है कि पॉलिसीहोल्डर को क्लेम के एक हिस्से का भुगतान करना होता है। को-पे आमतौर पर सम इंश्योर्ड के 10 फीसद के बराबर होता है, लेकिन अलग-अलग कंपनी के लिए यह अलग-अलग होता है। मान लीजिए कि किसी इलाज के लिए आपने दो लाख रुपये का क्लेम किया है, तो 10 फीसद के को-पे के लिए आपको 20,000 का भुगतान अपनी जेब से करना होगा।
वेटिंग पीरियड
किसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदने के बाद ऐसा जरूरी नहीं है कि हर बीमारी के लिए आपको पहले दिन से कवरेज मिलने लगे। ऐसे में आपको क्लेम करने के लिए एक खास अवधि के लिए वेटिंग पीरियड सर्व करना होता है। अलग-अलग पॉलिसी एवं बीमारियों के अलग-अलग वेटिंग पीरियड हो सकता है। उदाहरण के लिए आपने आज कोई हेल्थ पॉलिसी खरीदी तो हो सकता है कि आपको पहले दिन से कोविड-19 का कवर ना मिले लेकिन आपको एक्सीडेंट के लिए यह कवर पहले दिन से मिल सकता है। इसे ही वेटिंग पीरियड कहते हैं।
प्री-एक्जीस्टिंग डिजीज
आम तौर पर अगर आप कोई पॉलिसी मार्च, 2021 में खरीदते हैं तो 2019 के मार्च महीने से अब तक आपको हुई किसी भी बीमारी, जख्म को ‘प्री-एक्जीस्टिंग डिजीज’ की श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि इंश्योरेंस कंपनी के प्री-एक्जीस्टिंग डिजीज को कवर नहीं करती है, लेकिन अमूमन इसके लिए एक वेटिंग पीरियड रखती है। अलग-अलग बीमारियों के लिए यह वेटिंग पीरियड अलग-अलग होता है। अगर आप पहले दिन से अपनी प्री-एक्जीस्टिंग डिजीज को कवर कराना चाहते हैं, तो आपको सामान्य से ज्यादा प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉयड, डाइबिटीज और अस्थमा जैसी पहले से मौजूद बीमारियों को एक वेटिंग पीरियड के बाद कंपनियां कवर करती हैं। हालांकि, एचआईवी या कैंसर जैसी बीमारियों को हमेशा के लिए इस लिस्ट से बाहर किया जा सकता है। पॉलिसी खरीदते समय आपको अपनी पूर्व की मेडिकल स्थिति के बारे में कोई भी चीज छिपानी नहीं चाहिए, क्योंकि इससे क्लेम रिजेक्ट होने की आशंका रहती है।
राइडर
आपके बेसिक इंश्योरेंस प्लान के तहत मिल रही सुविधाओं को बढ़वाने के लिए आप कोई राइडर चुन सकते हैं। मैटरनिटी से जुड़ा राइडर इसका आम उदाहरण है।
ग्रेस पीरियड
अगर आपकी कोई हेल्थ पॉलिसी 31 दिसंबर को एक्सपायर हो रही है और आप उस पॉलिसी को समय पर रिन्यू नहीं करा पाते हैं, तो आपको एक ग्रेस पीरियड मिलता है। इस अवधि के दौरान भुगतान करने पर आपको पॉलिसी में पूर्व से चल रहे लाभ मिलते रहते हैं। इनमें वेटिंग पीरियड और प्री-एक्जीस्टिंग डिजीज से जुड़े लाभ शामिल होते हैं। हालांकि, भुगतान के प्लान के मुताबिक ग्रेस पीरियड भी अलग-अलग होता है। वार्षिक भुगतान के लिए यह आम तौर पर एक माह होता है। वहीं, मासिक भुगतान के लिए यह 15 दिन होता है। हालांकि, यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि जिस अवधि का प्रीमियम भुगतान नहीं हुआ होता है, उस दौरान आपको किसी तरह का क्लेम नहीं मिलता है।