भारतीय रिज़र्व बैंक G-SAP 1.0 प्रोग्राम के तहत वर्तमान तिमाही यानी वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूतियों की खऱीद करेगा.
नई दिल्ली. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. आरबीआई ने बुधवार को लगातार छठी बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया. बुधवार को तीन दिवसीय बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा, ‘आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह 4 फीसदी की दर पर कायम है.’
पिछले साल से आरबीआई का फोकस लिक्विडिटी के मोर्चे पर है. आरबीआई ये सुनिश्चित करना चाहता है कि सरकार की ऋण योजना बिना किसी दिक्कत के संपन्न हो जाए. इस कोशिश में ही RBI ने G-SAP 1.0 (Government Security Acquisition Programme) की घोषणा की है. इस प्रोग्राम के तहत आरबीआई वर्तमान तिमाही यानी वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूतियों की खऱीद करेगा.
बॉन्ड निवेशकों को मिलेगी बड़ी राहत
आरबीआई ने ये भी कहा है कि 1 लाख करोड़ रुपये की ये बॉन्ड खरीद योजना आरबीआई के चालू OMO बॉन्ड खरीद योजना से अगल है यानी इसमें शामिल नहीं है. सप्लाई सिनोरियो को देखते हुए आरबीआई का ये एलान काफी राहत देने वाला है इसके बाॉन्ड यील्ड में गिरावट आने की उम्मीद है. बॉन्ड यील्ड को सपोर्ट करने और इनके क्रमिक विकास के आरबीआई के लक्ष्य से बॉन्ड निवेशकों को बड़ी राहत मिल सकती है.
RBI के फैसले के सभी ने किया स्वागत
देश के प्रमुख बैंकरों ने रिजर्व बैंक की नये वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति में किये गये उपायों की सराहना की है. सरकारी प्रतिभूतियों के खरीद कार्यक्रम (जी- सैप) के जरिये बैंकिंग तंत्र में नकदी उपलब्ध कराने और केन्द्रीय बैंक के वृद्धि को बढ़ाने वाले अन्य उपायों को बैंकरों ने सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है.
बैंकों के संघ भारतीय बैंक संघ के चेयरमैन राज किरण राय ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीद कार्यक्रम (जी- सैप) से नकदी प्रबंधन की दिशा में की गई घोषणा बैंकों के लिये महत्वपूर्ण पहलू है. राज किरण राय यूनियन बैंक आफ इंडिया के प्रमुख भी हैं. उन्होंने कहा कि लक्षित दीघकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) योजना का विस्तार, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों को अतिरिक्त कोष उपलब्ध कराने जैसे अन्य उपाय भी बैंकों के लिये मददगार साबित होंगे.