RBI Monetary Policy: आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने ब्याज दरों को बरकरार रखा है. इस फैसले के बाद एफडी में निवेश करने वालों को फायदा होगा.
नई दिल्ली. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. आरबीआई ने बुधवार को लगातार छठी बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया. बढ़ती महंगाई दर के बीच अर्थशास्त्री भी इसी बात की उम्मीद कर रहे थे. जानकारों का कहना है कि आरबीआई ने उम्मीद के अनुसार ही फैसला लिया है. मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई की जगह अर्थव्यवस्था में वृद्धि (Economic Growth) को तवज्जो दी है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि महंगाई बढ़ने का मुख्य कारक सप्लाई साइड है.
बुधवार को तीन दिवसीय बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा, ‘आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह 4 फीसदी की दर पर कायम है.’
कैसे मिलेगा एफडी निवेशकों को फायदा
आरबीआई द्वारा इस फैसले के बाद अब रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्रमश: 4 फीसदी और 3.35 फीसदी की दर पर बरकरार हैं. नीतिगत ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं होना फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) के जरिए बचत करने वालों के लिए अच्छी खबर है. बैंक आगे भी एफडी पर ब्याज दर घटाने का फैसला नहीं लेंगे. वर्तमान में एफडी पर बैंक 2.9 फीसदी से लेकर 5.4 फीसदी तक का ब्याज दे रहे हैं.
बैंक में पैसे जमा करने वालों पर क्या असर होगा?
नीतिगत ब्याज दरों में आरबीआई द्वारा कटौती होने के बाद बैंक भी आगामी दिनों में एफडी दरें घटा देते हैं. लेकिन, डिपॉजिट रेट में यह कटौती रेपो रेट के अनुपात में नहीं होती है. बैंक में पैसे जमाकर्ता के तौर पर देखें तो ब्याज दरें घटने का मतलब है कि अकाउंट में नए डिपॉजिट पर कम ब्याज मिलेगा. कम ब्याज मिलने का मतलब है कि जमाकर्ता के डिपॉजिट पर रिटर्न भी कम ही मिलेगा. ब्याज दर बढ़ने का मतलब है कि डिपॉजिट पर ज्यादा रिटर्न मिलेगा.
एफडी और डेट म्यूचुअल फंड के अलावा निवेशकों के पास छोटी बचत स्कीमों में निवेश करने का विकल्प है. अंतिम तिमाही समीक्षा में सरकार ने इनकी ब्याज दरों को यथावत रखा है. एफडी के विकल्प के तौर पर प्रधानमंत्री वय वंदना योजना और सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम अभी 7 फीसदी ब्याज ऑफर कर रही हैं.