तेल उतपादक देशों (OPEC) का कहना है कि उन्होंने फैसला लिया है कि मई से जुलाई के दौरान प्रति दिन 20 लाख बैरल उत्पादन बढ़ाएंगे, OPEC का कहना है कि कोरोना महामारी से उबरती वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए हम ये कदम उठा रहे हैं.
नई दिल्ली: Petrol Diesel Price Today: तेल कंपनियों ने मार्च में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हल्की कटौती की थी, लेकिन ये कटौतियां इतनी नहीं हैं कि आम आदमी को राहत मिले. लेकिन अब उम्मीद जाग रही है कि आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी कमी हो सकती है. दरअसल तेल निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और सहयोगी देश तेल उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं.
हर दिन 20 लाख बैरल उत्पादन बढ़ेगा
तेल उत्पादक देशों (OPEC) का कहना है कि उन्होंने फैसला लिया है कि मई से जुलाई के दौरान प्रति दिन 20 लाख बैरल उत्पादन बढ़ाएंगे, OPEC का कहना है कि कोरोना महामारी से उबरती वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए हम ये कदम उठा रहे हैं. OPEC देशों ने उत्पादन में कटौती की थी, जिसके चलते कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगी थीं.
कैसे कैसे बढ़ेगा उत्पादन
OPEC मई में 3.5 लाख बैरल प्रतिदिन, 3.5 लाख लाख बैरल प्रतिदिन जून में और 4 लाख बैरल जुलाई में तेल का उत्पादन बढ़ाएंगे. इस बीच, सऊदी अरब ने कहा कि वह खुद से 10 लाख बैरल प्रतिदिन अतिरिक्त उत्पादन की बहाली करेगा.
कम होंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने से कीमतों में नरमी आएगी, जिसका सीधा असर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर देखने को मिल सकता है. आपको बता दें कि भारत कच्चे तेल के मामले में काफी हद तक दूसरे देंशों से इंपोर्ट पर निर्भर है. भारत अपनी जरूरत का 80 परसेंट से ज्यादा तेल इंपोर्ट करता है.
कच्चा तेल 64 डॉलर के पार पहुंचा
आपको याद होगा कि मार्च के बाद से जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी अपने चरम पर थी तब क्रूड के दाम 30 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए थे. आज ये 64 डॉलर के ऊपर हैं. कोरोना महामारी के दौरान मांग घटने की वजह से कच्चे तेल के दाम काफी गिर गए थे, इसलिए OPEC देशों ने पिछले साल उत्पादन घटाने का ऐलान किया था.
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओपेक देशों से कच्चे दाम का उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी ताकि तेल के दाम में स्थिरता आ सके. लेकिन तेल निर्यातक देशों ने कोई वाजिब जवाब नहीं दिया था. तब सऊदी अरब ने कहा था कि पिछले साल जब कच्चे तेल के दाम काफी नीचे चले गये थे, भारत उस समय खरीदे गये कच्चे तेल का इस्तेमाल कर सकता है.