कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक होगी। अगर हम इसी तरीके से लापरवाह रहे तो हालात बहुत असामान्य हो जाएंगे। नया डबल म्यूटेंट ना सिर्फ कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ाएगा बल्कि बहुत खतरनाक भी होगा। यह वायरस वैक्सीन की प्रभावकारिता को भी कम कर सकता है। इसलिए लोगों को अब न्यू नॉर्मल की नई परिभाषा के हिसाब से ही चलना होगा। होली पर भीड़ भाड़ में जाने से बचना होगा। कोशिश करनी होगी कि घर में रह करके ही अपनी जिंदगी बचाएं। स्वास्थ्य मंत्रालय की एईएफआई ( एडवर्स इफेक्ट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन) के सलाहकार डॉ. एनके अरोड़ा ने अमर उजाला डॉट कॉम से कोरोना की बीमारी और उसके वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर विस्तार से बातचीत की।
प्रश्न- लॉकडाउन के एक साल बाद कोरोना वायरस की दूसरी लहर चल रही है? यह लहर कितनी गंभीर?
उत्तर- निश्चित रूप से दूसरी लहर खतरनाक होगी, अगर हमने अपने लापरवाह व्यवहार को नियंत्रित नहीं किया तो इससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं। कई पश्चिमी देश दूसरी लहर के खतरनाक परिणाम झेल चुके हैं ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने शुरूआत में आवश्यक कदम नहीं उठाए थे। नए डबल म्यूटेंट न सिर्फ कोरोना के मामलों को बढ़ाएंगे बल्कि यह वैक्सीन की प्रभावकारिता को भी कम करेंगे। लेकिन अब क्योंकि हमने टीकाकरण कर दायरा बढ़ा दिया है, इसलिए संभव है कि हम कम समय में अधिक जनसंख्या को वैक्सीन दे पाएगें, इसके लिए लोगों की सहभागिता भी जरूरी है।
प्रश्न- इस लहर के लिए प्रशासनिक ढीलापन जिम्मेदार है या लोगों की लापरवाही?
उत्तर- पिछले साल से इस साल के लोगों के व्यवहार को नोटिस करें तो हम एक बड़ा बदलाव देखगें, क्या आप अब भी उसी स्तर की सुरक्षा का पालन करते हैं जबकि कोरोना का प्रकोप देश में शुरू ही हुआ था, मेरे ख्याल से आप खुद भी ऐसा नहीं करते। हैंड सेनिटाइजर का प्रयोग कम हो गया है सामाजिक स्तर पर लोग मिलने जुलने लगे हैं। लोग अब वायरस और संक्रमण के प्रति निश्चिंत हो गए हैं कई युवाओं को यह लगता है कि उन्हें संक्रमण हुआ भी तो उसका असर बहुत मामूली होगा या वह एसिम्पटोमैटिक होंगे और संक्रमण उन्हें छू कर निकल जाएगा और उन्हें पता भी नहीं चलेगा, जबकि ऐसा नहीं है कोरोना के कम लक्षण वाले युवा बुजुर्गो को संक्रमण का गंभीर खतरा दे सकते हैं।
प्रश्न- क्या कुछ विशेष किए जाने की जरूरत है? खासकर होली को देखते हुए?
उत्तर- निश्चित रूप से इस बार भी हमें होली पर एहतियात बरतने की जरूरत है, सार्वजनिक रूप से होली मिलन समारोह आयोजित नहीं किए जाने चाहिए और न ही ऐसे किसी आयोजन में शामिल होना चाहिए। दोस्त और परिजनों को वर्चुअल प्लेटफार्म पर बधाई देने के साथ ही सभी को टीकाकरण के लिए भी प्रोत्साहित करें। लोगों को बताएं कि सरकार ने अब 45 साल से अधिक आयु वर्ग के लिए भी कोरोना की वैक्सीन देना शुरू कर दिया है, इसे अवश्य लगवाएं। केंद्र सरकार ने भी इस बावत सभी राज्यों को दिशा निर्देश भेज दिए हैं जिसमें कहा गया है कि ईस्टर, बीहू, ईद-उल फितर, शबे बारात और होली में किसी तरह की भीड़ इकठ्ठी न होने दी जाएं।
प्रश्न- क्या यह महामारी के मौसमी होने के संकेत तो नहीं?
उत्तर- अभी हमारे पास इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं है, जिसमें हम यह कह सकें कि वायरस का व्यवहार मौसम के अनुसार होता है। बीते साल गर्मियों में यह अनुमान लगाया जा रहा था कि तापमान बढ़ने के साथ वायरस का प्रभाव कम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, अप्रैल से सिंतबर महीने तक कोरोना के मामले सर्वोच्च स्तर पर देखे गए। इसके बाद दिसंबर से जनवरी महीने में थोड़ी कमी देखी गई, लेकिन फरवरी के दूसरे हफ्ते के बाद ही महाराष्ट्र, केरल और मध्यप्रदेश में तेजी से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। हां यह जरूरी है कि जब बड़ी आबादी कोरोना अनुरूप व्यवहार का पालन करना छोड़ देती है या लोग लापरवाह हो जाते हैं तो मामले बढ़ने लगते हैं।
प्रश्न- पश्चिम के देशों में दूसरी लहर का कितना प्रभाव रहा?
उत्तर- बहुत से पश्चिमी देशो ने शुरूआत में कड़े कदम नहीं उठाए थे, वहां के लोगों ने भी लापरवाही बरती थी इसीलिए वहां कोविड की दूसरी लहर जल्दी आई और अधिक संख्या में लोग प्रभावित हुए। कोविड की दूसरी लहर ने कईं देशो में तबाही मचाई है और इस दौरान कोविड के कई नए वैरिएंट भी बने। कुछ नए वैरिएंट पहले के वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक पाए गए। नए नए वैरिएंट के आने से सिर्फ हमारे शरीर पर बीमारी का कुप्रभाव नहीं बढ़ता है बल्कि वैक्सीन के कम प्रभावकारी होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
प्रश्न- टीकाकरण को लेकर लोगों के मन में कई भ्रांतियां हैं। आप क्या कहेंगे।
उत्तर- वैक्सीन को सुरक्षा और गुणवत्ता के मापदंडों के जांच परख के बाद ही लॉन्च किया गया है। अबतक हम एक बड़ी आबादी को कोरोना की वैक्सीन दे चुके हैं, इसलिए अगर या मगर का प्रश्न ही नहीं उठता। वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और यदि आप पात्र लोगों की श्रेणी में आते हैं तुरंत टीकाकरण कराएं, इससे न सिर्फ खुद को संक्रमण से सुरक्षित रखते हैं बल्कि अपने परिजनों को होने वाले संक्रमण के खतरे को भी कम कर सकते हैं।
प्रश्न- संपूर्ण टीकाकरण में कितना समय लगेगा? क्या कोरोना की वैक्सीन को हर साल लेना होगा?
उत्तर- अभी हमने 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है, जिसका लक्ष्य जुलाई से अगस्त महीने तक पूरा कर लिया जाएगा, और इसको हम हासिल कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास नियमित टीकाकरण को सफलता पूर्वक संचालित करने का अनुभव है, जिसमें हम एक हफ्ते में 17 करोड़ गर्भवती महिलाओं और बच्चों को वैक्सीन देते हैं। क्या यह वैक्सीन हर साल लेना होगा, इसका जवाब फिलहाल नहीं दिया जा सकता।