ELSS टैक्ससेविंग के रूप में बेहतर विकल्प है लेकिन इसमें निवेश से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
मार्च का महीना चल रहा है जो भारतीय वित्त वर्ष का अंतिम महीना है. इसमें अधिकतक टैक्सपेयर्स टैक्स बेनेफिट्स के लिए कई विकल्पों में निवेश करते हैं. ऐसे ही टैक्स बेनेफिट्स की म्यूचुअल फंड स्कीम्स में सबसे अधिक इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) को पसंद किया जाता है. यह न सिर्फ निवेशकों की टैक्स लायबिलिटी को कम करता है बल्कि लांग टर्म में उनकी सेविंग्स को भी बढ़ाता है. नाम के अनुरूप ही ELSS निवेश राशि को इक्विटी मार्केट में निवेश किया जाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में उतार-चढ़ाव के डर से म्यूचुअल फंड में निवेश से नहीं हिचकना चाहिए. अगर आप ऐसे निवेशक हैं जो शॉर्ट टर्म मार्केट चेंजेज में कमाई करना चाहते हैं तो हर समय निवेश का बेहतर मौका होता है.
ELSS में 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है. हालांकि यह लॉक इन पीरियड समाप्त होने के बाद निवेशक इसे जारी रख सकता है अगर उस समय मार्केट में बहुत गिरावट है और रिटर्न कम मिल रहा हो. फाइनेंसियल प्लानर्स के मुताबिक जब बाजार में मजबूती आए और नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) बढ़े तो निवेशक एग्जिट के लिए सोच सकता है. यहां यह ध्यान रहे कि अधिक रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग्स के रूप में निवेशकों को बड़ा फायदा मिलता है अगर वह लंबे समय के लिए निवेश करते हैं.
ELSS में निवेश करने से पहले ध्यान रखें ये बातें
- किसी भी फंड हाउस या म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए ईएलएसएस में निवेश किया जा सकता है.
- बेहतर ईएलएसएस चुनना बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसे में खुद फैसला करने की बजाय किसी विशेषज्ञ की सलाह लें. ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर निवेशक म्यूचुअल फंड्स चुनने में सभी बिंदुओं का अध्ययन नहीं कर पाते हैं.
- हिस्टोरिकल डेटा यानी पहले किस तरह से म्यूचुअल फंड्स ने रिटर्न दिया है और स्टार रेटिंग्स के जरिए किसी म्यूचुअल फंड्स को नही चुनना चाहिए क्योंकि पिछले वर्षों में सफल रिटर्न भविष्य में भी बेहतर रिटर्न की गारंटी नहीं है.
- किसी ऐसे विशेषज्ञ या सलाहकार, जिनका अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड हो, उनसे मदद ली जाए तो बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकता है.