पलाश (Palash) के फूल में कई औषधीय गुण (Medicinal Benefits) होते हैं. यही वजह है कि आयुर्वेद (Ayurveda) में इनका इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसके फूल, बीज और जड़ों की औषधियां बनाई जाती हैं.
होली आने वाली है और इन दिनों पलाश (Palash) के फूलों की बहार है. एक जमाने में इसे होली (Holi Festival) के रंग (Colour) बनाने में प्रयोग किया जाता था. लाल रंग के इस खूबसूरत फूल को लोग होली के कई दिनों पहले से ही पानी में भिगो कर रख देते थे और फिर उबालकर इससे रंग बनाते थे. इस रंग से होली खेली जाती थी और इसकी खुश्बू से सारा वातावरण महक उठता था. आज भी इसे मथुरा, वंदावन और शांति निकेतन आदि जगहों पर होली में प्रयोग किया जाता है. पलाश को कई जगहों पर टेसू के नाम से भी जाना जाता है. पलाश के फूल में कई औषधीय गुण (Medicinal Benefits) भी होते हैं. पलाश के पेड़ के फूल, बीज और जड़ों की औषधियां बनाई जाती हैं और पौराणिक काल से ही आयुर्वेद (Ayurveda) में इसका प्रयोग किया जाता रहा है. आइए जानते हैं कि आयुर्वेद में पलाश का किस तरह उपयोग किया जाता है.
डीवर्मिंग के लिए
आपको बताएं कि पलाश के बीज में एंटी वर्म गुण पाया जाता है. आयुर्वेद में इसका प्रयोग इसके बीज को पीस कर पेट के कीड़ों को नष्ट करने में किया जाता रहा है. अगर पलाश के बीज के पाउडर को रेग्युलर खाया जाए तो पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं. इसे आप एक चम्मच शहद के साथ सुबह खाली पेट खा सकते हैं.
पेट की समस्या में
पलाश के फूल में एसट्रिनजेंट गुण पाया जाता है जो पेट की समस्या में आराम पहुंचाता है. इसका प्रयोग पेचिश और दस्त जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. अगर आप इसका रोज सेवन करें तो हर तरह की पेट की समस्या दूर हो सकती है.
डायबिटीज में
अगर आप डायबिटीज से परेशान हैं और हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे हैं तो आयुर्वेद में पलाश के पत्तों से इसका इलाज संभव है. पलाश के पत्तों में टिक्टा गुण होता है जो कफ और पित्त को भी कम करता है.
स्किन प्रॉब्लम में
पलाश के बीज का पेस्ट बनाकर अगर स्किन पर लगाया जाए तो इससे एक्जिमा और अन्य स्किन डिजीज ठीक हो जाती हैं. यह पेस्ट खुजली और रूखेपन की समस्या को भी ठीक करने में कारगर है. इसमें मौजूद एसट्रिनजेंट गुण त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद हैं.
योनि संक्रमण में उपयोगी
अगर आप किसी तरह के योनि संक्रमण से जूझ रहे हैं तो पलाश के पत्तों से तैयार काढ़े का उपयोग नियमित रूप से करें. यह ल्यूकोरिया (श्वेत या पीले योनि स्राव) और योनि के संक्रमण को ठीक करने में कारगर है.
घाव भरे
अगर आपको घाव हो गया है तो पलाश के बीज का काढ़ा पिएं. इसमें हीलिंग गुण होते हैं जो घाव को भरने में मदद करते हैं. ये घाव की ब्लीडिंग को रोक, घाव को भरते हैं. इसका उपयोग करने के लिए एक पलाश का फूल लें और उसे गुलाब जल के साथ दरदरा पीस लें. अब इसे घाव पर लगाएं. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)