मरम अल-अमावी फिलिस्तीनी रिफ्यूजी कैंप में रहती थीं. गैस लीक होने कारण वहां आग लगी थी. तब कई लोगों की मौत के साथ खौफनाक हादसे में कई लोग जख्मी हुए थे. इसी दौरान अमावी और उसकी मां दोनों को कभी न भूलने वाला दर्द मिला था.
गाजा: पश्चिम एशिया की सबसे विवादित और चर्चित जगह गाजा में 8 साल की बच्ची मरम अल-अमावी की कहानी सुर्खियां बटोर रही है. एक भयानक आग की वजह से उसका चेहरा खराब हो गया था. लेकिन अब एक 3 डी प्रिंटेड फेस मास्क (3D-Printed Face Mask) ने उसकी जिंदगी आसान कर दी है. ये खास तरह के मास्क ट्रांसपेरेंट मास्क मेडिकल चैरिटी डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर ने तैयार किए हैं.
बेनूर हो गया था चेहरा
8 साल की अमावी फिलिस्तीनी रिफ्यूजी कैंप में रहती थीं. कैंप गाजा के Nuseirat में है. कुछ समय पहले गैस लीक होने कारण वहां भीषण आग लगी थी. उस दौरान 25 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी. खौफनाक हादसे में कई लोग जख्मी हुए थे. इसी दौरान अमावी और उसकी मां को कभी न भूलने वाला दर्द मिला था.
3डी मास्क की खासियत
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के मुताबिक, मारम अल-अमावी के चेहरे के जख्मों को राहत देने के लिए खास तौर पर ये लिए 3डी प्रिंटेड मास्क बनाए गए हैं. बच्ची की मां भी हादसे में जल गई थीं. उनके लिए भी ये प्लास्टिक ट्रांसपेरेंट मास्क बनाए गए हैं. 3डी मास्क चेहरे पर प्रेशर अप्लाइ करते हैं. डॉक्टरों और फिजियोथेरेपिस्ट का मानना है कि इस मास्क की वजह से पीड़ितों के जख्मों पर राहत मिलती है.
इस तकनीक से मास्क बनाने के लिए पहले मरीज के चेहरों को कॉपी किया जाता है. फिर 3डी स्कैनर से उसका मिलान होता है. इस मास्क के पीछे स्ट्रैप लगी होती हैं. इससे इसे चेहरे पर पहना जा सकता है. एक मास्क करीब छह महीने से लेकर साल भर तक पहना जा सकता है. हालांकि ये वैलिडिटी इस बात पर निर्भर करती है कि पीड़ित का जख्म कितना गहरा है.
परिवार ने किया था देखने से इनकार
भले ही अमावी का मास्क ट्रांसपैरेंट हो और उसकी स्किन और चेहरे के हिसाब से फिट बैठता हो, लेकिन मारम इसे पहनने के बाद खुद को सहज महसूस नहीं करती. वो कहती हैं कि वो इस मास्क को बाहर पहनकर नहीं जाना चाहती है. क्योंकि उसको लगता है कि लोग उसका मजाक बनाने वाले हैं. अमावी की मां अपने मास्क को 16 घंटे तक पहनती हैं. वो सिर्फ खाना खाने के दौरान मास्क उतारती हैं. बच्ची की मां ने बताया कि परिवार के लोगों ने उन्हें देखने से इंकार कर दिया था.
‘उम्मीद पर टिकी दुनिया’
मां और बेटी ने दो महीने अस्पताल में गुजारे और उनके लिए जिंदगी की राह आसान नहीं थी. बच्ची की मां ने बताया कि ऑपरेशन के 50 दिन बाद उन्होंने अपना चेहरा देखा था. अब उन्हें उम्मीद है कि उनकी आने वाली जिंदगी और आसान होगी. वहीं कुछ सालों में उनके चेहरों के अजीब से निशान भी मिट जाएंगे.