घर खरीदने का फैसला जिंदगी का बहुत बड़ा फैसला होता है. यह जल्दबाजी में लिया जाने वाला फैसला नहीं है.
हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो. घर खरीदने का फैसला जिंदगी का बहुत बड़ा फैसला होता है. यह जल्दबाजी में लिया जाने वाला फैसला नहीं है.
आप जब भी घर खरीदने का प्लान बनाए तो आपको अपने आप से कुछ जरुरी सवाल पूछने चाहिए. हम आपको बता रहे हैं वे जरुरी सवाल कौन से हैं.
ईएमआई
EMI घर की आमदनी के 40 फीसदी से अधिन नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही आप पर दूसरा कोई लोन नहीं होना चाहिए. EMI अगर कुल आमदनी का 50 फीसदी से अधिक है तो अन्य लक्ष्यों के साथ समझौता करना पड़ेगा.
अन्य खर्चे
घर के साथ ऐसे कई खर्च जुड़े होते हैं जिसका अंदाजा आपको पहले से नहीं होता है. विज्ञापन में दिखाई गई कीमत सिर्फ बेस प्राइस होता है. बिल्डर ऐसी सुविधाओं के लिए पैसे लें सकते हैं जिन्हें आप फ्री मानकर चल रहे हों. कानूनी लिखा-पढ़ी से जुड़ी भी फीस होती है. स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज अन्य खर्चे हैं.
अपना मकान या किराए का मकान?
इस बात पर सोचना चाहिए कि आपके लिए किराये का मकान सही रहेगा या अपना मकान. यह विश्लेषण करना चाहिए कि इनमें से आपके लिए कौन सा विकल्प बेहतर रहेगा. शहरों में प्रॉपर्टी बहुत महंगी है यहां किराये पर रहना बेहतर विकल्प है.
क्या लोन के ब्याज के मुकाबले प्रॉपर्टी की वैल्यू ज्यादा बढ़ेगी?अगर आप कर्ज से निवेश के तौर पर प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो इस बात की समीक्षा करें कि क्या लोन के ब्याज के मुकाबले प्रॉपर्टी के दाम ज्यादा तेजी से बढ़ेंगे.
घर में कितने साल रहना है?
घर खरीदते समय इस सवाल खुद से जरुर पूछना चाहिए कि इसमें आप कितने साल तक रह सकते हैं. मान लीजिए आप करियर के शुरू में कोई घर खरीद लेते हैं और कुछ समय बाद आपको दूसरी जगह पर नौकरी करनी पड़ जाए. इसलिए घर आप तभी खरीदें जब ये तय कर लें कि इस जगह पर आपको 10-15 साल रहेंगे.
इमर्जेंसी फंड?घर खरीदने का फैसला तभी करें जब आप इस बात का इंतजाम कर रहें ले कि आपको निकट भविष्य में पैसों की जरुरत नहीं पड़ने वाली है. इसके लिए आपको एक इमरजेंसी फंड बना लेना चाहिए.
अगर आमदनी रुक जाए?
हालात हमेशा एक से नहीं रहते हैं. इसलिए भविष्य के खर्चों और परिवार की जरुरतों को कवर करने के अलावा सभी बकाया लोन के बराबर इंश्योरेंस खरीदें.
अगर घर का पजेशन मिलने में देरी हो?
घर का पजेशन देने में अगर बिल्डर देरी कर दे तो खरीदार को दोहरी मार पड़ती है. उन्हें किराये के साथ ईएमआई भी देना पड़ता है. समय पर पजेशन नहीं मिलने से आप होम लोन पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को भी गंवा सकते हैं.