7th Pay Commission: 1 अप्रैल 2021 से नया वेतन संहिता विधेयक (new wage code) लागू होने के बाद सरकार और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की सैलरी बढ़ सकती है. मंथली प्रॉविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी योगदान भी 1 अप्रैल से बदल जाएगा.
नई दिल्ली: 7th Pay Commission: 1 अप्रैल 2021 से नया वेतन संहिता विधेयक (new wage code) लागू होने के बाद सरकार और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की सैलरी बढ़ सकती है. मंथली प्रॉविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी योगदान भी 1 अप्रैल से बदल जाएगा. क्योंकि सरकार ने प्रावधान कर दिया है कि कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसकी मासिक CTC का 50 परसेंट होना चाहिए.
ऐसे बदल जाएगा आपका सैलरी स्ट्रक्चर
इसका मतलब ये हुआ कि नया वेतन संहिता विधेयक 1 अप्रैल, 2021 से लागू होगा, तो आपकी बेसिक सैलरी आपके कुल वेतन की 50 परसेंट या इससे ज्यादा होगी, यानी आपको मिलने वाला भत्ता आपकी सैलरी का 50 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकेगा. इसका साफ असर आपकी मंथली सैलरी पर होगा जो आपके हाथ में आती है, यानी आपकी Take Home Salary कम हो जाएगी. लेकिन PF और ग्रेच्युटी का योगदान बढ़ जाएगा जिससे लंबी अवधि में आपके पास ज्यादा रकम होगी.
8 फरवरी को श्रम एवं रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा ने बताया कि मंत्रालय बहुत ही जल्द चार कोड को लागू करेगा. उन्होंने बताया कि इन नियमों को बनाते समय सभी संबंधित पक्षों से बात की गई थी
श्रम मंत्रालय लागू करेगा ये चार कोड
1. Code on Wages
2. Industrial Relations
3. Occupational Safety
4. Health and Working Conditions and Social Security Codes
आपको बता दें कि सरकार ने अबतक नए वेज कोड को लागू करने की तारीख का ऐलान नहीं किया है, लेकिन ऐसा तय माना जा रहा है कि इसे 1 अप्रैल 2021 से लागू कर दिया जाएगा.
DA में बढ़ोतरी का ऐलान भी जल्द
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार जल्द ही अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकती है. वित्त मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि केंद्रीय कर्मचारियों की पेंशन या बेसिक सैलरी को ध्यान में रखते हुए DA का ऐलान किया जाएगा. DA और DR (Dearness Relief) पर अभी 12,510 करोड़ रुपये सालाना का खर्च है, लेकिन बढ़ोतरी के बाद इसके 14,595 करोड़ रुपये सालाना पहुंचने की संभावना है.
दूसरी ओर अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि LTC को कोरोना संकट को देखते हुए टैक्स छूट के दायरे में रखा गया है. सरकार को लगता है कि इससे सरकारी कर्मचारियों के हाथों ज्यादा पैसा आएगा. इससे इकोनॉमी को भी फायदा होगा.