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…तो क्या अब WhatsApp पर मिलेगी सैलरी क्रेडिट होने की जानकारी? पढ़ें क्या है सरकार का कहना

नए लेबर कोड (New  Labor Code) में इस बात का भी प्रस्ताव था कि कर्मचारियों को सैलरी क्रेडिट करने की जानकारी WhatsApp जैसे सोशल मीडिया से दी जाए. लेकिन, सरकार से सुझाव मांगने के बाद लोगों ने प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्हें डर है कि उनके प्रोफाइल से जुड़ी संवेदनशील जानकारी चोरी हो सकती है.

नई दिल्ली. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने अपने उस प्लान को अब ठंडे बस्ते में डाल दिया है, जिसके तहत कर्मचारियों को सैलरी संबंधित जानकारी WhatsApp जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए दी जानी थी. इसके पहले अप्रैल 2021 से लागू होने वाले नए लेबर कोड (New Labour Code) में इस व्यवस्था को भी लागू करने पर विचार किया जा रहा था. मिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा के हवाले से इस विसंगति को दूर किए जाने की जानकारी दी है. उनके हवाले से कहा गया है कि वेज कम्युनिकेशन ड्राफ्ट से सोशल मीडिया और वॉट्सऐप को हटाया जाएगा.

यह जानकारी उन चिंताओं के बीच आई है, जब पिछले महीने ही वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर बहस हो चुकी है. फेसबुक के साथ वॉट्सऐप के डेटा शेयर करने को लेकर चिंता की जा रही है. अधिकतर यूजर्स को इस मूल बात से चिंता है कि नई पॉलिसी के तहत उनके प्रोफाइल से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां साझा की जा सकती हैं. वॉट्सऐप का मालिकाना हक फेसबुक के पास ही है.

चंद्रा ने मिंट से कहा, ‘हम इसे हिस्से को संशोधित करेंगे. हमें अपने कर्मचारियों की निजता की चिंता है. जल्द ही इस ड्राफ्ट को फाइनल किया जाएगा और आप देख सकेंगे कि इसमें वॉट्सऐप समेत सोशल मीडिया का प्रावधान नहीं होगा.’ इसके पहले श्रम मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने प्रस्ताव दिया था कि ‘वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया’ को सैलरी संबंधी जानकारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

ड्राफ्ट को लेकर लोगों से मांगा गया था सुझाव
मंत्रालय की तरफ से यह कदम उस समय उठाया गया जब डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की गई. लोगों को उनके फाइनेंशियल व सोशल सिक्योरिटी डेटा को लेकर चिंता है. इस ड्राफ्ट को सुझाव के लिए पब्लिक डोमेन में रखा गया था. इसे अंतिम रूप देकर करीब एक महीने बाद इंडस्ट्रियल रिलेशन (IR) कोड एक्ट में शामिल किया जाएगा.

पहले के प्रस्ताव में क्या कहा गया था?
सर्विस, मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर्स के लिए स्टैंडिंग ऑर्डर्स के तहत ड्राफ्ट में कहा गया था, ‘वर्कर्स को मेहनताना समेत सभी तरह का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या डिजिटल फॉर्म से उनके बैंक अकाउंट में किया जाएगा. वर्कर्स को इस तरह के पेमेंट की जानकारी उन्हें मैसेजिंग सर्विस या ई-मेल या वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया कम्युनिकेशन या स्लिप जारी कर दी जाएगी.’

कहा जा रहा है कि सोशल मीडिया के जरिए सैलरी की जानकारी देने से कर्मचारी-नियोक्ता के बीच निजता सहमति का उल्लंघन नहीं होगा. लेकिन, इससे सोशल प्रोफाइलिंग, बैंक डिटेल्स पर नज़र या डेटा चोरी होने का ख़तरा बना रहेगा.

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