PM Narendra Modi in Parliament Live Updates: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज राज्य सभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए साफ कहा कि किसान आंदोलन पर केवल राजनीति हो रही है. कृषि कानूनों पर बातचीत के जरिए किसानों की हर शंका दूर करने के लिए सरकार हमेशा तैयार है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राज्य सभा (Rajya Sabha) में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए केंद्र के नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) और किसान आंदोलन (Farmers Protest) की आड़ में राजनीति कर रहे विपक्ष को करारा दवाब दिया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि आज विपक्ष कृषि रिफॉर्म्स पर यू टर्न क्यों ले रहा है? प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि कुछ लोग नए कृषि कानूनों पर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कानून को लेकर किसानों की हर शंका का समाधान किया जाएगा. किसानों की बड़ी मांग पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, ‘MSP को कोई खत्म नहीं कर सकता. MSP था, MSP है और MSP रहेगा.’
आंदोलन समाप्त करने की अपील
पीएम मोदी ने कहा, किसानों और सरकार के बीच बातचीत के रास्ते कतई बंद नहीं हुए हैं. कृषि मंत्री लगातार किसानों के संपर्क में हैं. उन्होंने किसानों को संदेश देते हुए कहा, नए कृषि कानून देश में बड़ा परिवर्तन लाने वाले साबित होंगे. उन्होंने कहा कि कानून लागू होने का मतलब यह कतई नहीं है कि बाद में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता. भविष्य में भी कहीं कोई कमी नजर आए तो उसे सुधारा जाएगा. साथ ही किसानों की मंडी व्यवस्था मांग पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह और बेहतर होगी और MSP को कतई खत्म नहीं किया जा रहा. साथ ही किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की.
विपक्ष का यू-टर्न क्यों?
विपक्ष को जवाब देते हुए कहा, शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है कोई पीछे नहीं है. आज मैं हैरान हूं अचानक यूटर्न ले लिया. आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता. उन्होंने कहा, मनमोहन सिंह जी ने किसान को उपज बेचने की आजादी दिलाने, भारत को एक कृषि बाजार दिलाने के संबंध में अपना इरादा व्यक्त किया था और वो काम हम कर रहे हैं. आप लोगों को गर्व होना चाहिए कि देखिए मनमोहन सिंह जी ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है.
हर सिख पर देश को गर्व
पीएम मोदी ने कहा, भारत अस्थिर, अशांत रहे इसके लिए कुछ लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं. हमें इन लोगों को जानना होगा. हम ये न भूलें कि जब बंटवारा हुआ तो सबसे ज्यादा पंजाब को भुगतना पड़ा, जब 1984 के दंगे हुए सबसे ज्यादा आंसू पंजाब के बहे. आज कुछ लोग खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं, ये देश हर सिख पर गर्व करता है. कुछ लोग उनके लिए जो भाषा बोलते हैं, उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं इससे कभी देश का भला नहीं होगा.
‘आंदोलनजीवी’ जमात का क्या काम?
साथ ही हर बात पर आंदोलन करने वालों को कटघरे में खड़ा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है ‘आंदोलनजीवी’. वकील, छात्रों, मजदूरों के आंदोलन में ये लोग नजर आते हैं. ये पूरी एक टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते खोजते रहते हैं.’
भारत लोकतंत्र की जननी है
राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान हुए हंगामे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘अच्छा होता कि राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती. लेकिन राष्ट्रपति जी के भाषण की ताकत इतनी थी कि न सुनने के बाद भी बात पहुंच गई. उन्होंने साफ कहा कि भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी कोई भी खाल उधेड़ सक.
आज भारत एक अवसरों की भूमि
पीएम मोदी ने कहा, पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच. लेकिन जो देश युवा हो, जो देश उत्साह से भरा हुआ हो. जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता. उन्होंने कहा, ये भी सही है जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत एक अवसरों की भूमि है. अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं.
राष्ट्रपति का उद्बोधन आत्मविश्वास पैदा करने वाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सभा में कि पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रही है. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन सबसे गुजरना होगा. इस दशक के प्रारंभ में ही हमारे राष्ट्रपति ने संयुक्त सदन में जो उद्बोधन दिया, जो नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला था. यह उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला था.
कविता के जरिए विपक्ष पर निशाना
उन्होंने कहा कि हम सबके लिए ये भी एक अवसर है कि आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। यह पर्व कुछ कर गुजरने का होना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि आजादी के 100वें साल यानी 2047 में हम कहां होंगे. आज दुनिया की निगाह हम पर है. जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है. तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल. उन्होंने कहा कि मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़.
दुनिया हमारे प्रयासों की दाद दे रहा है
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के दौरान कोई किसी की मदद कर सके, ये मुश्किल हो गया. एक देश दूसरे देश को, एक प्रदेश दूसरे प्रदेश को, एक परिवार दूसरे परिवार की मदद नहीं कर पा रहा था. करोड़ों लोगों के मर जाने की बातें कहीं जा रही थीं. एक अनजाना दुश्मन क्या कर सकता था, इसकी उम्मीद नहीं थी. इसे कैसे डील कर सकते हैं, ये भी पता नहीं था. हमें रास्ते खोजने थे, बनाने थे, लोगों को बचाना था. उन्होंने कहा कि हमें ईश्वर ने जो बुद्धि सामर्थ्य दिया, उससे लोगों को बचाने में सफल हुए. दुनिया इसकी दाद दे रही है. विश्व के सामने गर्व करने में क्या जाता है
देश का मनोबल तोड़ने वाली बातों में न उलझें
पीएम मोदी ने कहा, सोशल मीडिया में देखा होगा कि फुटपाथ पर बैठी बूढ़ी मां दीया जलाकर बैठी थी. हम उसका मखौल उड़ा रहे हैं, जिसने स्कूल का दरवाजा नहीं देखा, पर उन्होंने देश में सामूहिक शक्ति का परिचय करवाया. विरोध करने के लिए कितने मुद्दे होते हैं लेकिन देश के मनोबल तोड़ने वाली बातों में न उलझें. हमारे कोरोना वॉरियर्स, जिन्होंने कठिन समय में जिम्मेदारी निभाई, उनका आदर करना चाहिए. देश ने ऐसा करके दिखाया.
हंगामेदार रही कार्यवाही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बजट सत्र की कार्यवाही अब तक हंगामेदार रही है. विपक्ष लगातार सरकार को नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर घेर रहा है. एक स्थिति तो ऐसी भी आई कि हंगामे के दौरान उपराष्ट्रपति और सभापति वैंकेया नायडू को विपक्ष से कहना पड़ा कि गलत उदाहरण मत पेश करिए. उन्होंने विपक्ष से कहा, लोगों को गुमराह न करिए कि कोई चर्चा (किसान कानूनों पर) नहीं हुई. वोटिंग हुई थी और सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने सुझाव और तर्क दिए थे.
बजट सेशन की प्रोडक्टिविटी 82% रही
सरकार के मुताबिक, बजट सत्र की प्रोडक्टिविटी 82.10% रही. बैठक का कुल समय 20 घंटे 34 मिनट रहा. 3 फरवरी को विपक्षी सांसदों के विरोध के कारण 4 घंटे 14 मिनट खराब हुए. इसके चलते सांसद 33 मिनट एक्स्ट्रा बैठे. पीएम मोदी ने कहा, भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जतायी थीं. विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताईं लेकिन भारत ने आज सबके सामने बड़ा उदाहरण पेश किया है.