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Success Mantra: लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कम्फर्ट जोन से निकलना है बेहद जरूरी, पढ़ें दो तोतों की यह प्रेरक कहानी

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Success Mantra एक बार एक देश का राजा किसी दूसरे देश में घूमने गया। वहां उसका खूब आदर सत्कार हुई। वह अपनी खातिरदारी से बेहद खुश था। जब वह अपने देश वापस आने वाला था तो उस देश के राजा ने उसे दो तोते उपहार में दिए।

Success Mantra: एक बार एक देश का राजा किसी दूसरे देश में घूमने गया। वहां उसका खूब आदर सत्कार हुई। वह अपनी खातिरदारी से बेहद खुश था। जब वह अपने देश वापस आने वाला था तो उस देश के राजा ने उसे दो तोते उपहार में दिए। दोनों ही तोते दिखने में एक जैसे ही थे। इसके बाद राजा अपने देश वापस आ गया। वापस आने के बाद उसने तोतों के रहने की व्यवस्था की। उसने दोनों तोतों को अपने शाही बाग में रखा। उस बाग के बीचों-बीच एक पेड़ था जिसकी डाली पर तोतों के रहने के लिए एक पिंजरा लटकाया गया। एक प्रशिक्षक भी रखा गया जो उन तोतों को उड़ना सिखाए।

वो प्रशिक्षक रोज लगभग 10 से 15 दिन तक आता रहा। लेकिन उनमें से एक तोता ऐसा था जो इतना सिखाने के बाद भी उड़ना नहीं सीख पाया। राजा ने प्रशिक्षक को अपने पास बुलाया और पूछा तो उसने सारी बात बताई। उसने कहा कि एक तोता तो बहुत जल्दी सीख गया और दूसरा सीखने को तैयार ही नहीं है। प्रशिक्षक ने कहा कि उसने बहुत कोशिश की लेकिन वो डाल पर ही बैठा रहा। ऐसे में उसे समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करे।

राजा चाहता था कि दोनों ही तोते उड़ना सीखें। ऐसे में उसने अपने मंत्रियों से मंत्रणा की और मंत्रणा उपरांत दूसरे तोते के लिए एक अन्य प्रशिक्षक की व्यवस्था करने के लिए कहा। लेकिन दूसरा प्रशिक्षक भी उस तोते को सीखने में असफल रहा। कई प्रशिक्षक आए और गए। राजा ने फिर सभी मंत्रियों को बुलाया और दूसरे तोते को उड़ना सिखाने के उपाय के बारे में मंत्रणा की।

मंत्रियों ने कहा कि क्यों न इस बार गांव से किसी व्यक्ति को बुलाया जाए जिसे तोते के बारे में अच्छी पहचान हो। फिर एक व्यक्ति को बुलाया गया। उसने आने से दूसरा तोता पहले तोते से भी ऊंचा उड़ने लगा। यह बात राजा को बताई गई। राजा ने उस व्यक्ति को तुंरत बुलवाया और पूछा कि आखिर उसने ऐसा क्या किया कि वो उड़ने लगा। व्यक्ति ने कहा, “महाराज! मैंने वह डाली ही काट दी, जिस पर वह तोता बैठा करता था।”

सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम सभी कई बार तोते जैसा व्यवहार करते हैं। सपने तो ऊंचे होते हैं हमारे लेकिन उन्हें पूरा करने के मेहनत नहीं करते। क्योंकि हम अपने कम्फर्ट जोन से निकलना नहीं चाहते। ऐसे में किसी भी लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमें कम्फर्ट जोन से निकलना बेहद जरूरी है।  

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