भारत में कोरोना वायरस के लिए दो वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी मिलने के बाद बांग्लादेश और ब्राज़ील जैसे देश भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं.
हालांकि, उनकी उम्मीदों को झटका लग सकता है क्योंकि ऐसा अनुमान है कि भारत में घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इन वैक्सीन के निर्यात पर पाबंदी लगाई जा सकती है. हालांकि निर्यात में पाबंदी की बात को ख़ारिज कर दिया गया है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन ने कहा है कि नई दिल्ली ने ढाका को भरोसा दिलाया है कि ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन को उपयुक्त समय पर डिलिवर किया जाएगा.
Cover Story: कोरोना वैक्सीन के लिए कितना तैयार भारत?
भारत में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ‘कोविशील्ड’ नाम से बना रहा है.
वहीं, भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने ‘कोवैक्सीन’ नामक वैक्सीन बना रहे हैं. इन दोनों ही वैक्सीन को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी मिल चुकी है.
फ़िलहाल कोविशील्ड मुख्य वैक्सीन के तौर पर इस्तेमाल होगी जबकि कोवैक्सीन उसका बैकअप होगी क्योंकि उसके अभी क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं.
बांग्लादेश को क्या है चिंता
बांग्लादेश ने अपने यहां पर ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी है. बांग्लादेश को इसको लेकर भी पूरा भरोसा है कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया से ‘कोविशील्ड’ उसे जल्द मिल जाएगी.
बांग्लादेश में ‘कोविशील्ड’ का एक्सक्लूसिव डिस्ट्रिब्यूटर बेक्सिमको फ़ार्मा कंपनी है.
बेक्सिमको फ़ार्मा की सीओओ रब्बुर रज़ा ने सोमवार को कहा कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (सीआईआई) से वैक्सीन की पहली खेप जल्द ही आ जानी चाहिए.
ढाका ट्रिब्यून अख़बार के अनुसार, पिछले साल नवंबर में सीआईआई बेक्सिमको के बीच कोविशील्ड की तीन करोड़ ख़ुराक के लिए समझौता हुआ था. बांग्लादेश को इसके लिए भारत को 12 करोड़ टका देना होगा.
एसआईआई हर महीने 50 लाख वैक्सीन बेक्सिमको के ज़रिए बांग्लादेश को छह महीने तक उपलब्ध कराएगा.
अख़बार के अनुसार, बीते दिसंबर में भारत ने बांग्लादेश से वादा किया था कि जनवरी में वैक्सीन तैयार होते ही वह उसे तीन करोड़ ख़ुराक मुहैया कराएगा.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के बीच वर्चुअल सम्मेलन के दौरान इसका वादा किया गया था.
एसआईआई को डब्ल्यूएचओ से लेनी है अनुमति
भारत में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन बना रहे एसआआई ने विकासशील देशों को एक अरब वैक्सीन देने का समझौता किया हुआ है.
एसआईआई के जनसंपर्क अधिकारी मयंक सेन का कहना है कि निर्यात के लिए कंपनी को अनुमति लेनी होगी जिसमें महीनों का समय लग सकता है.
हालांकि, बांग्लादेश को उम्मीद है कि वैक्सीन जल्द ही मिल जाएगी.
देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर ज़ाहिद मलिक ने कहा है कि वह भारतीय प्रशासन के साथ संपर्क में हैं और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वैक्सीन समझौते के हिसाब से ही दी जाएगी.
वहीं, बांग्लादेश के स्वास्थ्य सचिव मोहम्मद अब्दुल मन्नान ने कहा है कि बांग्लादेश को फ़रवरी में वैक्सीन मिल जाएगी क्योंकि एसआईआई को अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी अनुमति लेनी है जिसमें तीन सप्ताह का समय लगेगा.
ब्राज़ील भी चिंतित
कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में ब्राज़ील तीसरे नंबर पर है. ब्राज़ील में भी यह चिंता गहरा गई है कि अगर भारत कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा देता है तो उसका क्या होगा.
ब्राज़ील के फ़ियोक्रूज़ इंस्टिट्यूट ने भारत से ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन लेने के लिए क़रार किया हुआ है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, 31 दिसंबर को ब्राज़ील के स्वास्थ्य नियामक ने ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की 20 लाख वैक्सीन के आयात के लिए मंज़ूरी दी थी. लेकिन अब निर्यात पर पाबंदी के बादल मंडराते देख ब्राज़ील ने भी एहतियाती क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं.
रॉयटर्स ने बताया है कि इस मामले से जुड़े दो लोगों का कहना है कि पाबंदी की घोषणा के बाद निर्यात प्रभावित न हो इसके लिए राजनयिकों ने बातचीत शुरू कर दी है.
फ़ियोक्रूज़ ने पुष्टि की है कि ब्राज़ील का विदेश मंत्रालय बातचीत कर रहा है.
ब्राज़ील को कोवैक्सीन से उम्मीद
ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन में संभावित देरी के मद्देनज़र ब्राज़ील के निजी क्लीनिकों ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की 50 लाख ख़ुराक ख़रीदने की घोषणा कर दी है.
हालांकि, भारत बायोटैक ने अब तक ब्राज़ील के स्वास्थ्य विनियामक के पास अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया है.
वहीं, कोवैक्सीन पर भारत में सवाल उठ चुके हैं कि उसने फ़ेस-3 के ट्रायल के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं.
ब्राज़ीलियन एसोसिएशन ऑफ़ वैक्सीन क्लीनिक्स के प्रमुख गेराल्डो बारबोसा सोमवार को भारत दौरे पर आ रहे ब्राज़ील के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि भारत बायोटैक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो चुके हैं.
उन्होंने कहा, “ब्राज़ील के प्राइवेट मार्केट में यह पहली वैक्सीन उपलब्ध होनी चाहिए.”
उन्होंने बताया कि मार्च के मध्य तक कोवैक्सीन ब्राज़ील पहुंच जानी चाहिए, विनियामकों की अनुमति के बाद यह प्राइवेट क्लीनिकों पर बिकेगी.
ब्राज़ील के स्वास्थ्य विनियामक अनविसा ने रविवार को बयान जारी किया कि कोवैक्सीन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए लगातार डाटा जमा करने को लेकर फ़िट नहीं दिखता है और वैक्सीन को ब्राज़ील में क्लिनिकल ट्रायल से गुज़रना होगा.