कोरोना वायरस की वजह से पिछला साल बेहद खराब गया है. इस एक साल ने इंसानों को जीने का नया तरीका दिया है. आम जीवनचर्या में इतने बदलाव हुए हैं जो कभी किसी ने सोचा तक नहीं था. इनमें से कुछ बदलाव ऐसे हैं जो आगे भी रह सकते हैं. आइए जानते हैं दुनियाभर के एक्सपर्ट के हवाले से कि कोरोना महामारी खत्म होने के बाद जीवन में किस तरह के बदलाव आ सकते हैं?
लेन यूनिवर्सिटी के इतिहासकार जॉन बैरी कहते हैं कि अगले छह महीने में जो बदलाव होंगे वो आगे के जीवन पर काफी ज्यादा असर डालेंगे. अगर वैक्सीन प्रभावी हुईं तो कोरोना वायरस से इम्यूनिटी कई सालों तक रहेगी. ऑनलाइन दवाएं आ सकती हैं जो कोरोना के खिलाफ काफी प्रभावी होंगी. रैपिड एंटीजन टेस्ट का उपयोग ज्यादा से ज्यादा होगा. लोग घरों से ही काम करेंगे. इंटरनेट का उपयोग ज्यादा होगा. सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन कम होगा और निजी गाड़ियां ज्यादा रहेंगी. जॉन बैरी ने द ग्रेट इंफ्लूएंजाः द स्टोरी ऑफ डेडलिएस्ट पैनडेमिक इन हिस्ट्री किताब भी लिखी है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ओक्लाहोमा की मेडिकल एंथ्रोपोलॉजिस्ट कैथरीन हर्शफील्ड कहती है कि कोरोना वायरस महामारी के अंत तक राजनीतिक विभाजन ज्यादा होगा. आर्थिक असमानताएं बढ़ जाएंगी. सोशल मीडिया पर कॉन्सपीरेसी थ्योरीज आती-जाती रहेंगी. साल 2021 में लोग सिर्फ कोरोना वायरस की वैक्सीन के पीछे भागते नजर आएंगे. इसके बाद कोरोना वायरस महामारी कम होनी शुरू हो सकती है. खत्म नहीं होगी. हो सकता है कि हमारे सामाजिक ताने-बाने की वजह से नई बीमारियां महामारी बनकर फैलें. कैथरीन ने गैंग्स्टर स्टेट्सः ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, क्लेप्टोक्रेसी एंड पॉलिटिकल कोलैप्स किताब लिखी है.
इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंग्टन की सोशियोलॉजिस्ट अन्ना म्यूलर कहती हैं कि महामारी ने हमें सिखाया कि कैसे ऑनलाइन टीचिंग हो सकती है. इससे उन स्टूडेंट्स के लिए आसानी हो गई जो दिव्यांग थे. जिन्हें कई बार भयानक पीड़ा होती थी. अब ऑनलाइन क्लासेस का कल्चर तेजी से चलेगा. लेकिन इसके साथ ही एक अलग पहलू भी है. कोरोना वायरस महामारी के दौरान जिन परिवारों की रोजी-रोटी गई, उनके बच्चे महामारी के अंत तक गरीबी, असुरक्षा और मानसिक दबाव में रहेंगे. इसका सीधा प्रभाव बच्चों के शैक्षणिक और मानसिक विकास पर पड़ेगा.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सोशियोलॉजिस्ट मारियो लुई स्माल ने कहा कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को इंटरनेट से जोड़ दिया. कोरोना वायरस के खत्म होने के बाद भी कंपनियां, संस्थाएं, सरकार और लोग यात्राओं से बचेंगे. फिजिकल कॉन्टैक्ट और मीटिंग्स के बदले ऑनलाइन मिलना पसंद करेंगे. इसी दौरान लोगों ने अकेले रहना और अकेले रहने के अवसाद से लड़ना भी सीख लिया है. क्योंकि यह बीमारी ऐसी है कि यह बीच-बीच में सर उठाती रहेगी. लोगों को लॉकडाउन या आइसोलेशन का सामना भविष्य में भी करना पड़ सकता है.
ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के इतिहासकार क्रिस्टोफर मैक्नाइट निकोल्स ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी खत्म होने के बाद लोग तेजी से घूमने-टहलने निकलेंगे. लोगों का जमावड़ा होगा. लाइव म्यूजिक कंसर्ट और खेलों के आयोजन होंगे. ऐसा ही साल 1920 में हुआ था, जब 1918 के इंफ्लूएंजा महामारी और पहले विश्व युद्ध के बाद दुनिया आजाद हुई थी. दो सालों तक लोग अलग-अलग रह रहे थे, बाद में सब एकसाथ आए.