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Live: देश को मिली पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई है. फिलहाल, अभी एक्सपर्ट कमेटी की बैठक जारी है. कुछ ही देर में इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है.

कोरोना महामारी के बीच देश को पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन मिल गई है. एक्सपर्ट कमेटी की बैठक में शनिवार शाम को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी देने का फैसला लिया गया. सूत्रों के मुताबिक, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई है. फिलहाल, अभी एक्सपर्ट कमेटी की बैठक जारी है. कुछ ही देर में इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है. इससे पहले कोविशील्ड को मंजूरी मिली थी. 

देश में कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को अनुमति देने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के SEC (Subject Expert Committee) की बैठक हुई. इस बैठक में सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन को अंतिम मंजूरी दी गई. इसके अलावा भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को मंजूरी देने पर भी चर्चा हुई. बता दें कि SEC ही वैक्सीन के इस्तेमाल की प्राथमिक मंजूरी देती है. आज की बैठक में कोविशील्ड वैक्सीन के अन्य पहलुओं पर भी चर्चा की गई है.

साल 2021 के पहले दिन एक्सपर्ट कमेटी ने सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की जा रही ‘कोविशील्ड वैक्सीन’ के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद इसे DGCI यानी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा फाइनल अप्रूवल मिलना था.

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में फाइजर, भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट तीनों को एक के बाद एक अपना-अपना प्रेजेंटेशन दिया. इन बैठकों में वैक्सीन कंपनियों से इनके उपयोग, प्रभाव और सफलता के बारे में जानकारी मांगी गई थी. 

आपको बता दें कि 2 जनवरी से देश के कई राज्यों में कोरोना वैक्सीन का ड्राई रन किया जा रहा है. इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने एक समीक्षा बैठक भी की थी. इससे पहले पंजाब, असम, गुजरात और आंध्र प्रदेश में ड्राई रन किया गया था, जिसके रिजल्ट काफी सकारात्मक रहे थे. उत्तरप्रदेश में भी 2 जनवरी से 6 केन्द्रों पर कोविड वैक्सीन का ड्राई रन किया जाएगा.

क्या होता है ड्राई रन?

ड्राई रन, एक तरह से असली वैक्सीन को लाने-ले जाने और रखरखाव की नकली प्रक्रिया है. आसान शब्दों में समझें तो ड्राई रन के दौरान असली दवा की जगह दूसरी दवा या खाली शीशियों को ठीक उसी तरह से ट्रांसपोर्ट करना होगा जैसे असली दवा को किया जाना है. फिर उन्हें अस्पतालों में वैसे ही रखा जाता है जैसे असली दवा को रखा जाना है. एक तरह जितने भी स्टेप असली दवा के लिए उठाए जाते हैं उतने ही काम दूसरी दवा के लिए किए जाते हैं. ताकि अपनी तैयारियों का अनुमान लगाया जा सके.

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