इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में टैरिफ में बढ़ोतरी हो सकती है.
पिछले साल दिसंबर 2019 में टैरिफ में बढ़ोतरी और सब्सक्राइबर्स के अपग्रेडेशन (2G या 3G से 4G) से वित्त वर्ष 2021 में टेलीकॉम कंपनियों के रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई है. अब टेलीकॉम कंपनियां एक बार फिर टैरिफ में बढ़ोतरी करने की सोच रही हैं. इंफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (ICRA) की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में टैरिफ में बढ़ोतरी हो सकती है. अभी हाल ही में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने अपने पोस्टपेड प्लान के रेट बढ़ाए थे. जिससे अगले वित्त वर्ष 201-22 में उनके रेवेन्यू ग्रोथ में बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा हाई ऑपरेटिंग लीवरेज से उनकी प्रॉफिटेबिलिटी में भी सुधार आएगा. कोरोना महामारी के कारण घर से काम करने के कल्चर और ऑनलाइन क्लासेज ने डेटा खपत बढ़ाया है. इससे कंपनियों का प्रति यूजर रेवेन्यू बढ़ा है.
FY21 में 11% रेवेन्यू बढ़ोतरी का अनुमान
तगड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण टेलीकॉम कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिटेबिलिटी में में बड़ी गिरावट देखी गई थी लेकिन चालू वित्त वर्ष 2020-21 में इंडस्ट्री के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक टैरिफ में बढ़ोतरी और लगातार अपग्रेडेशन के कारण टेलीकॉम कंपनियों के रेवेन्यू में 11 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. अगले वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 13 फीसदी तक की रेवेन्यू ग्रोथ रहेगी.
रेवेन्यू के साथ ही कर्ज में भी बढ़ोतरी
रेवेन्यू ग्रोथ के अलावा इक्रा की रिपोर्ट में टेलीकॉम कंपनियों पर कर्ज बढ़ने का भी अनुमान लगाया गया है. अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में टेलीकॉम इंडस्ट्री पर 4.9 लाख करोड़ का कर्ज रहेगा और अगले वर्ष इसमें कमी आएगी लेकिन बहुत कम. रिपोर्ट के मुताबिक अगले वित्त वर्ष 2022 में टेलीकॉम इंडस्ट्री पर 4.7 लाख करोड़ का कर्ज रहेगा. वित्त वर्ष 2020 में राइट इशू, क्यूआईपी इशू और एडीशनल स्पांसर फंड इंफ्यूजन के जरिए अधिक मात्रा में टेलीकॉम कंपनियों ने कर्ज चुकाए. इस वजह से 31 मार्च 2020 को टेलीकॉम कंपनियों का कर्ज घटकर 4.4 लाख करोड़ रह गया जबकि 31 मार्च 2019 को यह 5 लाख करोड़ था.
टेलीकॉम इंडस्ट्री के AGR में बढ़ोतरी
ट्राई के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में टेलीकॉम इंडस्ट्री के एआरपीयू (प्रति यूजर औसत रेवेन्यू) में 90 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हुई. इस वजह से टेलीकॉम कंपनियों के एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. हालांकि सरकारी टेलीकॉम कंपनियों की बात करें उनकी एआरपीयू में कमी बनी रही जबकि निजी कंपनियों के एआरपीयू में बढ़ोतरी हुई.
सरकार की तरफ से मदद की संभावना
टेलीकॉम कंपनियों की मदद के लिए सरकार भी आगे आई है. पिछले साल नवंबर 2019 में कंपनियों को वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 में स्पेक्ट्रम ऑक्शन इंस्टालमेंट्स के स्थगित होने पर वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव रखा था. इसके अलावा इक्रा की रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि टेलीकॉम कंपनियों को आगे भी स्पेक्ट्रम पेमेंट्स में राहत मिल सकती है और लेवाइज (Levies) में कटौती की जा सकती है. इसके अलावा सरकार डेटा के लिए फ्लोर टैरिफ लाकर उनकी मदद कर सकती है.
लॉकडाउन का कम प्रभाव पड़ा टेलीकॉम इंडस्ट्री
कोरोना महामारी के कारण अधिकतर इंडस्ट्री पर बुरा प्रभाव पड़ा लेकिन टेलीकॉम इंडस्ट्री पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ा. लॉकडाउन की शुरुआत में फिजिकल रिचार्ज की अनुपलब्धता (लॉकडाउन के दौरान दुकानें बंद थीं) और इनकमिंग की सुविधा बढ़ाए जाने के कारण टेलीकॉम कंपनियों के कंपनियों के एआरपीयू (एवरेज रेवेन्यू पर यूजर) में कमी आई थी. लॉकडाउन के दौरान टेलीकॉम कंपनियों ने वैलिडिटी खत्म होने के बाद रिचार्ज न कराए जाने के बावजूद इनकमिंग कॉल की सुविधा बंद नहीं की थी. हालांकि कुछ समय बाद यूजेज और टैरिफ में बढ़ोतरी के कारण स्थिति में सुधार आया. वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन स्कूल, कंटेट वाचिंग ऐड के कारण डेटा यूजेज बढ़ा है.