दस साल तक चले परीक्षण के खत्म होने पर पता चला कि अफ्रीका और एशिया में दूध समेत अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बाकी दुनिया से बहुत कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना दूध और दही का इस्तेमाल करने से इंसान डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से दूर रहता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना दूध और दही का इस्तेमाल करने से इंसान डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से दूर रहता है. 21 मुल्कों में करीब डेढ़ लाख व्यस्कों पर चले दस वर्षीय परीक्षण से खुलासा हुआ. रिसर्च को ऑनलाइन रिसर्च जर्नल ‘बीएमजे ओपन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर’ में प्रकाशित किया गया है.
रोजाना दूध और दही के इस्तेमाल करने से क्या होगा?
रिपोर्ट के मुताबिक परीक्षण में एशिया, अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के 21 देशों से 1 लाख 47 हजार 812 लोगों को शामिल किया गया. परीक्षण का हिस्सा बननेवाले सभी प्रतिभागियों की उम्र 35-70 साल तक थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि एक साल तक प्रतिभागियों के खानपान की आदत और सेहत के बारे में विस्तार से सवाल पूछे गए. उसके अलावा अगले 9 साल के दौरान अंतराल से डाइट और सेहत का मुआयना किया गया. परीक्षण के लिए शोधकर्ताओं ने डेयरी प्रोडक्ट्स को दो किस्मों में बांटा. एक ‘फैट से भरपूर’ जैसे दूध और दूसरा ‘कम फैट’ जैसे स्किम दूध के साथ ये देखा गया कि डेयरी प्रोडक्ट्स की कितनी मात्रा रोजाना इस्तेमाल में रहती है.
इंसान डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से दूर रहता है
डेयरी प्रोडक्ट्स में दूध, दही, पनीर, मक्खन और डेयरी प्रोडक्ट्स से तैयार फूड शामिल किए गए. दस साल तक चले परीक्षण के खत्म होने पर पता चला कि अफ्रीका और एशिया में दूध समेत अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बाकी दुनिया से बहुत कम है. जबकि दुनिया भर में लोग रोजाना औसतन 179 ग्राम डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन किसी न किसी शक्ल में करते हैं.
शोधकर्ताओं ने कहा कि रोजाना 2 कप दूध या उसके बराबर डेयरी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करनेवाले लोगों में मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा ऐसे लोगों के मुकाबले 24 फीसद कम हो गया जो डेयरी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल नहीं करते. जबकि फैट से भरपूर डेयरी प्रोडक्ट्स की उतनी ही मात्रा रोजाना इस्तेमाल करनेवालों में ये खतरा 28 फीसद कम रह गया. वहीं ये बात भी सामने आई कि कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करनेवालों में मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा कम नहीं हुआ.
आपको बता दें कि मेटाबोलिक सिंड्रोम कोई बीमारी नहीं है बल्कि ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स में सामान्य से ज्यादा वृद्धि को कहते हैं. इससे दिल की अन्य बीमारियों, फालिज और टाइप 2 डायबिटीज के खतरे में बढ़ोतरी होती है. रिपोर्ट के मुताबिक मक्खन और पनीर के सेवन से भी मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा कम करने में मदद मिली लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उनके इस्तेमाल का प्रतिदिन औसतन सिर्फ 3 ग्राम पाया गया. इसके अलावा ये भी पता चला कि रोजाना दो कप दूध या उसके बराबर डेयरी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करनेवालों में हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज दोनों का खतरा अतिरिक्त 12 फीसद कम हो गया.