अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है कि होम लोन लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
Home Loan EMI: घर खरीदना सभी का एक ऐसा सपना है जिसके लिए कई लोग जिंदगी भर पूंजी जोड़ते हैं. बाजार की मौजूदा परिस्थितियों और महामारी को लेकर आय अनिश्चितता बनी हुई है. ऐसे में घर के लिए फाइनेंसिंग सबसे बड़ा फैसला है. इसमें एक फैसला बहुत क्रिटिकल साबित हो सकता है, जैसे कि होम लोन कहां से ले रहे हैं. लेंडर्स चुनने के बाद भी कई फैसले होते हैं, जिसे आपको सावधानी से चुनना पड़ता है, जैसे कि लोन कितने समय तक चुकाना है. इस प्रकार से कई ऐसे बिंदु होते हैं, जिन पर आपको गौर करना चाहिए. कई लोगों को बेहतरीन वित्तीय जानकारी होती है और उन्हें पता होता है कि उन्हें किस तरह से होम लोन लेना चाहिए. हालांकि अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है कि होम लोन लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. होम लोन लेने से पहले इन तीन फैक्टर्स पर जरूर विचार कर लें.
अधिक टेन्योर होने पर वित्तीय राहत
जब आप होम लोन के लिए आवेदन करते हैं तो टेन्योर का फैसला बहुत सोच-समझकर लेना चाहिए. इसी के आधार पर लोन चुकाने की मासिक किस्त यानी ईएमआई निर्धारित होती है. हालांकि इसका कोई एक निश्चित फॉर्मूला नहीं है जिसे सबके लिए बेहतर कहा जा सके. ऐसे में होम लोन लेते समय अपनी रिपेमेंट कैपेसिटी के आधार पर टेन्योर चुना जाना चाहिए. बैंक आम तौर पर 5 से 30 साल तक की अवधि के लिए लोन उपलब्ध कराते हैं. अपनी क्षमता के हिसाब से सही टेन्योर चुनना आवश्यक होता है क्योंकि कम समय चुनने पर लोन की किस्त जल्दी पूरी हो जाएंगी लेकिन लंबा टेन्योर चुनने पर वित्तीय तनाव कम होगा क्योंकि लंबे टेन्योर में किस्त कम होती है.
उदाहरण के लिए, मोहित को 50 लाख का होम लोन चाहिए. बैंक उसे 9.5 फीसदी की दर पर कर्ज उपलब्ध करा रही है. अब मोहित को यह चयन करना है कि वह लोन कितने समय के लिए ले यानी कि लोन की किश्तें कितने समय में चुकानी हैं. 9.5 फीसदी की दर से 50 लाख का लोन 8 साल के लिए लेने पर करीब 74 हजार की मासिक ईएमआई देनी होगी. हालांकि अगर वह 20 साल का टेन्योर चुनता है तो उसे 46 हजार की ईएमआई देनी होगी. मोहित के बजट को देखते हुए उसे 20 साल के टेन्योर वाला लोन लेना चाहिए क्योंकि इसमें उन्हें कम ईएमआई चुकानी होगी.
LTV रेशियो अधिक नहीं होना चाहिए
लोन टू वैल्यू (LTV) रेशियो के जरिए लेंडर्स यह देखते हैं कि लोन देना कितना रिस्की है. यह लोन अमाउंट और अंडरलाइंग एसेट की वैल्यू का रेशियो है. जितना अधिक एलटीवी रेशियो होगा, लेंडर्स आपको दिए गए लोन को उतनी ही रिस्की मानेगी. एलटीवी पर्सेंटेज को एलटीवी रेशियो में 100 का गुणा करके निकाला जाता है.
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपको 3 करोड़ का कोई घर खरीदना हो और आपके खाते में 60 लाख रुपये हैं जिसका उपयोग आप डाउनपेमेंट के रूप में करने वाले हैं. आरबीआई गाइडलाइंस के मुताबिक 75 लाख से अधिक के लोन पर 75 फीसदी का एलटीवी रेशियो होना चाहिए. इसका मतलब यह है कि आपको 2.5 करोड़ का लोन मिल सकता है. ऐसे में यह ध्यान रखने वाली बात है कि अगर जितना कर्ज आपको चाहिए, एप्रेजल उससे कम है तो या तो आपको डाउन पेमेंट राशि बढ़ानी होगी या अपने बैंक से मार्टेगेज इंश्योरेंस बढ़ाकर एलटीवी बढ़ाने को कह सकते हैं. अगर आपके होम लोन अमाउंट की एलटीवी 80 फीसदी या उससे अधिक है तो होम लोन का इंश्योरेंस कराना पड़ेगा. यह इंश्योरेंस लेंडर उपलब्ध कराता है.
वहीं दूसरी ओर, अगर आप कम एलटीवी का चयन करते हैं तो आपको अधिक अधिक अग्रिम भुगतान करना पड़ेगा. हालांकि इस स्थिति में आप अपने लेंडर्स से ब्याज दर और अवधि (टेन्योर) को लेकर मोलभाव कर सकते हैं.
अपने होम फाइनेंस को इंश्योर करें
आकस्मिक दुर्घटना होने की स्थिति में कभी-कभी कर्जदार लोन चुकाने में असफल हो जाता है और लेंडर्स भी अपना पैसा खो सकते हैं. ऐसी परिस्थितियों से अपने परिवार को सुरक्षित करने के लिए होम लोन इंश्योरेंस बेहतर रणनीति है. होम लोन इंश्योरेंस होने पर अगर होन लोन चुकता नहीं हो पा रहा है तो उसकी भरपाई इंश्योरेंस से हो जाएगी. आमतौर पर इंश्योरेंस उसी फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशन से उपलब्ध हो जाता है, जहां से आपको कर्ज मिल रहा है. इसलिए होम लोन की तुलना करते समय, सभी लेंडर्स द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे इंश्योरेंस की भी तुलना की जानी चाहिए.