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जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP ग्रोथ रेट -7.5%, आर्थिक मंदी की ओर देश…!

India Q2 GDP Data Release: दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी (GDP) -7.5 फीसदी रही है. हालांकि ये आंकडे अप्रैल-मई-जून तिमाही के मुकाबले काफी बेहतर हैं. लेकिन लगातार दो तिमाही में निगेटिव ग्रोथ को तकनीकी तौर पर मंदी माना जाता है.

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 (FY 2020-21) की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही के आंकड़े जारी कर दिए हैं. दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी (GDP) -7.5 फीसदी रही है. हालांकि ये आंकडे अप्रैल-मई-जून तिमाही के मुकाबले काफी बेहतर हैं. लेकिन लगातार दो तिमाही में निगेटिव ग्रोथ को तकनीकी तौर पर मंदी माना जाता है. शुक्रवार शाम सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी किए. गौरतलब है कि पिछले 40 साल में पहली बार जीडीपी में इतनी कमी आई है जिसके चलते आंकड़ों पर सबकी नजरें टिकी हुई थीं.

लगातार दो तिमाही में आई जीडीपी में कमी- भले ही जीडीपी में गिरावट पिछली तिमाही से कम हो लेकिन लगातार दो तिमाही जीडीपी में कमी आने से देश मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में टेक्निकल रिसेशन के दौर में चला गया है. यानी सरकार ने आधिकारिक तौर पर मंदी को स्वीकार कर लिया है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर समेत दुनिया भर की रेटिंग एजेंसी का मानना है कि भारत की विकासदर आने वाले समय में बेहतर हो जाएगी. अगर पहली तिमाही की बात की जाए तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसद की ऐतिहासिक गिरावट हुई थी.

जीडीपी आंकड़ों पर एक नजर- मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े -7.5% रहे, जबकि रेटिंग एजेंसियों ने इन आंकड़े का -8.9% रहने का अनुमान लगाया गया था. दूसरी तिमाही के GVP आंकड़े -7%, जबकि इन आंकड़ों का -8.6 रहने का अनुमान लगाया गया था. वहीं एग्री सेक्टर ग्रोथ 3.4% रहा, जबकि एग्री सेक्टर ग्रोथ 3.9% रहने का अनुमान लगाया गया था. इस लिहाज से दूसरी तिमाही के आंकड़े काफी बेहतर हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले वित्त वर्ष में ये आंकड़ा सकारात्मक होने की उम्मीद है.

मौजूदा तिमाही में उद्योग क्षेत्र में 2.1, खनन क्षेत्र में 9.1 और विनिर्माण के क्षेत्र में 8.6 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि कृषि क्षेत्र और मैन्युफ़ैक्चरिंग के क्षेत्र में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है. कृषि क्षेत्र में जहां 3.4 फ़ीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है तो वहीं मैन्युफ़ैक्चरिंग क्षेत्र में 0.6 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है.

जीडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेज़ी या गिरावट आई है. इससे पता चलता है कि सालभर में अर्थव्यवस्था ने कितना अच्छा या ख़राब प्रदर्शन किया है. अगर जीडीपी डेटा सुस्ती को दिखाता है, तो इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है और देश ने इससे पिछले साल के मुक़ाबले पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया और सेवा क्षेत्र में भी गिरावट रही.

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मूडीज ने आर्थिक वृद्धि दर अनुमान बढ़ाया- मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कैलेंडर वर्ष 2020 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को बढ़ाकर (-)8.9 फीसदी कर दिया है. पहले (-)9.6 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान जताया गया था. रेटिंग एजेंसी ने बृहस्पतिवार को कैलेंडर वर्ष 2021 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अपने अनुमान को 8.1 फीसदी से बढ़ाकर 8.6 फीसदी कर दिया है.

ग्लोबल रिसर्च और ब्रोकिंग हाउस गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) कैलेंडर ईयर 2021 में भारत की जीडीपी 10 फीसदी (GDP growth) की दर से बढ़ सकती है. बता दें दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में यह सबसे ज्यादा है. Pfizer और BioNTech की वैक्सीन की खबर के बाद रिसर्च कंपनियों का अनुमान है कि भारत समेत दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में तेजी आ सकती है. वहीं, 2022 में यह ग्रोथ करीब 7.3 फीसदी रह सकती है.

गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों को उम्मीद है कि वैक्सीन आने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. रिसर्च कंपनी ने बताया कि अगले साल इकोनमॉमी में ‘V(accine)-Shaped’ रिकवरी देखने को मिलेगी. वहीं, भारत के कैलेंडर वर्ष 2022 के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो फिर से दुनिया की 11 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है.

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