Gland Pharma IPO Listing: फार्मा कंपनी ग्लेंड फार्मा के आईपीओ की शेयर बाजार में आज लिस्टिंग हो गई. इश्यू 13 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट हुआ है. आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस 1500 रुपये था, जो 201 रुपये बढ़त के साथ 1701 रुपये पर बीएसई पर लिस्ट हुआ है. ग्लैंड फार्मा अबतक किसी भी फार्मा कंपनी द्वारा लाया गया सबसे बड़ा आईपीओ है. इस आईपीओ का साइज 6500 करोड़ रुपये था. अब तक सिर्फ 14 भारतीय कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 6,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जुटाई है.
शेयर में तेजी बढ़ी
शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद ग्लैंड फार्मा के शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है. शेयर कारोबार में 20 फीसदी से ज्यादा मजबूत होकर 1820 रुपये के भाव तक पहुंच गया. सुबह 10:09 बजे यह 1807 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था.
2.06 गुना हुआ था सब्सक्राइब
ग्लैंड फार्मा का 6500 करोड़ रुपये का इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को निवेशकों का अच्छा रिस्पांस मिला था. यह इश्यू 2.06 गुना सब्सक्राइब हुआ था यानी इसके लिए 2.06 गुना बोलियां मिलीं. इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स के लिए रिजर्व पसेर्सन को 6.4 गुना बोलियां मिलीं. रिटेन निवेशकों के लिए रिजर्व पोर्सन 24 फीसदी सब्सक्राइब हुआ, जबकि नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स का हिस्सा 51 फीसदी सब्सक्राइब हुआ. कंपनी ने इस आईपीओ के लिए 1490-1500 रुपये प्रति शेयर की कीमत तय की थी.
दवा कंपनी का सबसे बड़ा आईपीओ
ग्लैंड फार्मा के 6,500 करोड़ रुपये का आईपीओ किसी भी दवा कंपनी द्वारा लाया गया सबसे बड़ा आईपीओ है. इससे पहले एरिस लाइफसाइंसेज ने 2017 में आईपीओ से 1,741 करोड़ रुपये जुटाए थे. अब तक सिर्फ 14 भारतीय कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 6,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जुटाई है. ग्लैंड फार्मा मूलरूप से फोसन सिंगापुर और शंघाई फोसन फार्मा द्वारा प्रमोटेड है. कंपनी में चीन की कंपनी फोसन फार्मा की 74 फीसदी हिस्सेदारी है. कंपनी के अन्य निवेशको में ग्लैंड सेलस (12.97 फीसदी), एम्पावर (5.08 फीसदी) और निलय (2.42 फीसदी) शामिल हैं.
कंपनी का क्या है कारोबार
ग्लैंड फार्मा इंजेक्टेबल दवाएं बनाती है. कंपनी के पास कुल 1427 प्रोडक्ट हैं. आगे भी कई प्रोडक्ट को मंजूरी मिल चुकी है. ग्लैंड फार्मा ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 2,772 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष यह राशि 2,129.7 करोड़ रुपये थी. वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी का मुनाफा 772.8 करोड़ रुपये रहा जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष में यह 451.8 करोड़ रुपये था.