दुनिया भर से अब कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर अच्छी खबरें आने लगी हैं. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) के CEO अदार पूनावाला (Adar Poonawalla) का कहना है कि भारत में आम लोगों को ऑक्सफोर्ड की COVID-19 वैक्सीन अप्रैल से मिलने लगेगी. पूनावाला ने ये जानकारी Hindustan Times Leadership Summit 2020 में दी.
पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (Oxford Vaccine) 2021 के फरवरी तक बुजुर्गों और हेल्थ केयर वर्कर्स को दी जाएगी जबकि अप्रैल तक ये आम लोगों तक पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा कि संभावना है कि 2024 तक हर भारतीय को वैक्सीन लग जाएगी.
पूनावाला ने कहा, ‘भारत के हर व्यक्ति को वैक्सीन लगाने में दो से तीन साल तक का समय लगेगा. इसकी वजह वैक्सीन की आपूर्ति में कमी नहीं बल्कि जरूरी बजट, सही व्यव्स्था और बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी. इसके अलावा ये लोगों की वैक्सीन लगवाने की इच्छा पर भी निर्भर करता है. पूरी आबादी के 80-90 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए ये सारी चीजें होनी जरूरी हैं.’
वैक्सीन की कीमतों पर पूनावाला ने कहा कि लोगों को इस वैक्सीन की दो डोज के लिए अधिकतम एक हजार रूपए देने होंगे, ये फाइनल ट्रायल के नतीजों और रेगुलेटरी मंजूरी पर भी निर्भर करेगा. वहीं वैक्सीन की क्षमता पर पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बुजुर्गों पर बहुत असरदार साबित हुई है.
पूनावाला ने कहा, ‘ये वैक्सीन टी सेल (T-cell) पर अच्छा काम करती है, जो लॉन्ग टर्म इम्यूनिटी और एंटीबॉडी रिस्पॉन्स के लिए जरूरी माना जाता है. हालांकि ये समय ही बताएगा कि ये वैक्सीन लंबे समय तक कितनी सुरक्षा देगी. वैक्सीन पर इस तरह के सवालों का जवाब अभी किसी के पास नहीं है.’
सुरक्षा से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल वैक्सीन से जुड़ी कोई बड़ी शिकायत, गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे गए हैं. हमें इंतजार करने की जरूरत है. भारत में चल रहे इसके ट्रायल के नतीजे एक-डेढ़ महीने में सामने आ जाएंगे, जिससे इसकी क्षमता और प्रभाव के बारे में और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी.
वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल पर सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख ने कहा कि UK में अधिकारियों और यूरोपियन दवा मूल्यांकन एजेंसी (EMEA) से इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है, हम ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया में वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्लाई करेंगे. हालांकि ये सिर्फ फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स और बुजुर्गों तक सीमित होगा.
पूनावाला ने कहा कि बच्चों को वैक्सीन के लिए थोड़ा ज्यादा इंतजार करना होगा, जब तक कि इसका सेफ्टी डेटा नहीं आ जाता. उन्होंने कहा कि अच्छी बात ये है कि बच्चों के लिए COVID-19 ज्यादा खतरनाक नहीं है.
पूनावाला ने कहा, ‘कोरोना वायरस की तुलना में खसरा, निमोनिया जैसी बीमारियां बच्चों के लिए ज्यादा घातक हैं. हालांकि बच्चे कोरोना का संक्रमण दूसरों में फैला सकते हैं. हम बुजुर्गो और ऐसे लोगों को पहले वैक्सीन लगाना चाहते हैं जिनमें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है.’
पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन सस्ती और सुरक्षित है साथ ही इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. इस तापमान पर भारत के ठंडे इलाकों में इस वैक्सीन को स्टोर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट की योजना फरवरी से हर माह लगभग 10 करोड़ डोज बनाने की है.