पांच दिन चलने वाले दिवाली के महापर्व का आगाज धनतेरस से होता है. धनतेरस के पर्व पर माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा का विधान है. इस पर्व को धन-धान्य और सुख समृद्धि में वृद्धि करने वाला माना जाता है. धनतेरस का पर्व कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 13 नवंबर को धनतेरस मनाया जाएगा.
सोना-चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के पर्व पर सोना-चांदी और बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है. बता दें कि इस दिन सोना-चांदी भी विशेष मुहुर्त में खरीदा जाता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल धनतेरस (13 नवंबर) पर सुबह 6 बजकर 42 मिनट से शाम के 5 बजकर 59 मिनट तक सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त है. यानी 11 घंटे 16 मिनट की अवधि सोना खरीदने के लिए शुभ है. इस शुभ समय पर सोना खरीदने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. ये भी माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में खरीदारी करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है. जिसकी वजह से धन में 13 गुणा की वृद्धि होती है.
सोना-चांदी खरीदने के पीछे है पौराणिक कथा
धनतेरस पर सोना खरीदना काफी शुभ माना गया है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. बताया जाता है कि हिम नाम का एक राजा हुआ करता था, उसके बेटे को श्राप मिला था कि विवाह के चौथे दिन ही उसकी मौत हो जाएगी. एक राजकुमारी, राजा हिम के बेटे से प्रेम किया करती थी. जब उसे ज्ञात हुआ कि जिसके साथ वह शादी के ख्वाब बुन रही है उसकी मृत्यु हो जाएगी तो उसने शादी तो की लेकिन चौथे दिन पति को जागते रहने के लिए कहा. पति सो न जाए इसलिए वह पूरी रात जागकर उसे कहानियां और गीत सुनाती रही. उसने घर के दरवाजे पर सोना-चांदी और बहुत सारे आभूषण भी रखे और दिए भी जला दिए.
वहीं श्राप के अनुसार जब मृत्यु के देवता यमराज सांप का रूप धर कर हिम के बेटे को डसने के लिए आए तो चारों तरफ चमक-धमक देखकर अंधे हो गए और वह घर के भीतर प्रवेश नहीं कर पाये. वह आभूषणों के ऊपर ही विराजमान होकर कहानी और गीत सुनने लगे. देखते ही देखते रात बीत गई और सुबह हो गई और इसी के साथ राजकुमार की मृत्यु की घड़ी भी बीत गई. इस तरह यमराज को राजकुमार के प्राण लिए बिना वापस लौटना पड़ा. कहा जाता है कि तभी से धनतेरस के पर्व पर सोना चांदी खरीदने की परंपरा चली आ रही है. दरअसल माना जाता है कि ऐसा करने से अशुभ चीजें और नकारात्मक उर्जा घर के अंदर प्रवेश नहीं करती है.