SIP: कोरोना संकट ने लोगों के बचत और निवेश की गणित भी खराब कर दी है. इक्विटी मार्केट हो या म्यूचुअल फंड दोनों में ही निवेशको को अचछा खासा नुकसान उठाना पड़ा, जिससे कुछ लोगों ने अपने निवेश को बेच दिया या रोक दिया. इनमें म्यूचुअल फंड एसआईपी भी शामिल है. एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) के आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष अप्रैल से लेकर अगस्त तक कुल 40.5 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी एसआईपी बंद कर दी है. यह पिछले साल के मुकाबले करीब 7 लाख ज्यादा है. हो सकता है आप भी इन्हीं में शामिल हों. अगर आपने ऐसा किसी परेशानी के चलते किया तो अब क्या करना चाहिए…
केस 1: इनकम घटने से बंद किया
कोरोना संकट के दौरान बहुत से लोगों की मंथली होने वाली इनकम कम हो गई या बंद हो गई. प्राइवेट कंपनियों में जहां लोगों को सैलरी कट से जूझना पड़ा, वहीं नॉन सैलरीड की आमदनी काम धंधे बंद होने से कम हो गई. ऐसे में मजबूतरी में उन्हें अपना एसआईपी निवेश रोकना पड़ा.
क्या करें: अगर उनकी आमदनी फिर से पटरी पर आ गई है तो अब वे पहले की तरह एसआईपी जारी रखें. बल्कि एसआईपी टाप अप का भी विकल्प चुन सकते हैं. उन्हें वैल्युएशन सस्ता होने से यूनिट बढ़ाने का मौका मिल जाएगा.
केस 2: पैनिक में बंद किया, लेकिन पैसा नहीं निकाला
बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना संकट में गिरते हुए बाजार को देखकर डर की वजह से निवेश बंद कर दिया. लेकिन उन्होंने अच्छा यह किया कि पैसा नहीं निकाला है.
क्या करें: उनके लिए भी यहां 2 बातें हैं. पहला वे एसआईपी अब जारी कर सकते हैं, क्योंकि माकेट कंडीशन सुधर रही है. दूसरा वे कुछ पैसा डेट सेग्मेंट में स्विच कर सकते हैं. बाद में जग बाजार पूरी तरह से पटरी पर आए तो वे फिर से डेट से इक्विटी की ओर देख सकते हैं.
केस 3: बंद भी किया, पैसा भी निकाला
बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने पैनिक में बंद तो किया होगा, वहीं गलती से पैसा भी निकाल लिया होगा.
क्या करें: उनके लिए बेहतर यह है कि अब नए सिरे से अपने पोर्टफोलियों का रिव्यू करें. चूंकि उनके व्यवहार से यह लगता है कि उनके पास रिस्क लेने की क्षमता कम है. इस वजह से वे नए सिरे से एसेट अलोकेयान स्ट्रैटेजीजी को ध्यान में रखकर एसआईपी करें. दूसरा पैसा निकालने की वजह फंड की कमी हो सकती है. ऐसे में आगे से वे इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं.
क्या कहना है एक्सपर्ट का
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एकेएसआईपी रोकने की कई वजह हो सकती है. लेकिन अगर पैनिक में ऐसा किया तो यह सही स्ट्रैटेजी नहीं है. बाजार आने लो से 60 फीसदी तक इंप्रूव हो चुका है. जिसका फायदा इक्विटी म्यूचुअल फंड सेग्मेंट को भी मिला है. फिलहाल अब अगर आप फिर से निवेश करने के कंडीशन में हैं तो अपने गोल डिसाइड कर, जोखिम लेने की क्षमता का इसे शुरू करना चाहिए. बाजार में सुधार हुआ है, अर्थव्यवसथा फिर से पटरी पर आ रही है. ऐसे में सस्ती यूनिट का फायदा उठाया जा सकता है.