PMI: मोदी सरकार के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बड़ी राहत की खबर है. अक्टूबर महीने में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी पूरे दशक में सबसे ज्यादा रही है. यहां तक कि यह 13 साल के हाई 58.9 पर रही है. यह मांग सुधरने का संकेत है. डिमांड में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी को बूस्ट मिला है. बता दें कि कोरोना संकट के दौर में डिमांड बुरी तरह से प्रभावित हुई थी, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हुआ. फिलहाल पीएमआई डाटा से बेहतर उम्मीद जग रही है.
सोमवार को जारी आईएचएस मार्किट मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई (IHS Markit PMI) सर्वे के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स अक्टूबर में 58.9 रहा है. अक्टूबर 2007 के बाद यह इसका सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं, सितंबर 2020 में यह 56.8 अंक था. यह लगातार तीसरा महीना है जब मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में लगातार ग्रोथ आई है. इससे प्रोडक्टशन और जॉब एक्टिविटी में भी तेजी दिखाई दे रही है. पीएमआई का 50 अंक से ऊपर रहना गतिविधियों में विस्तार, जबकि 50 अंक से नीचे रहना गिरावट के रुख को दर्शाता है.
नए ऑर्डर में आई तेजी
आईएचएस मार्किट की इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलीन्ना डी लीमा का कहना है कि नए ऑर्डर और आउटपुट में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. जिसकी वजह से इंडियन मैन्युफैक्चरर्स कोविड-19 के प्रभावों से उबर रहे हैं, जिन्हें साल के शुरूआती महीनों में बहुत ज्यादा दबाव झेलना पड़ा था. बिक्री में यह तेजी आने वाले महीनों में बरकरार रहेगा.
ओवरआल डिमांड को ट्रैक करने वाले आउटपुट और नए ऑर्डर, दोनों में 12 साल से भी ज्यादा समय में सबसे ज्यादा तेजी दिख रही है. साथ ही फॉरेल डिमांड में भी दिसंबर 2014 के बाद से सबसे ज्यादा तेजी आई है. हालांकि यह लगातार 7वां महीना है जब कंपनियों ने स्टाफ की संख्या में कटौती की है.
क्या है पीएमआई
बता दें कि परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का इस्तेमाल मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की स्थिति का आंकलन करने के लिए किया जाता है. यह अलग-अलग कारोबारी पहलुओं पर मैनेजरों की राय के आधार पर तैयार होता है, जिसमें हजारों मैनेजरों से उत्पाद, नए ऑर्डर, उद्योग की उम्मीदों एवं आशंकाओं और रोजगार से जुड़ी हुई राय ली जाती है.