भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों में कार्यरत 5 हजार कर्मचारियों को झटका दिया है. अब ये कर्मचारी साल 2020 के अंत तक बिना प्रमोशन का लाभ पाए रिटायर हो जाएंगे. बिना प्रमोशन के रिटायर होने से कई विभागों का काम भी प्रभावित हो रहा है. हालांकि सरकार इनकी जगह पर कम ग्रेड वाले कर्मचारियों को प्रभारी बनाकर काम चला रही है.
जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के कई विभागों में 60 फीसदी तक वरिष्ठ पद खाली पड़े हैं.अब तक रिटायर हुए 65 हजार अधिकारी/कर्मचारियों में से लगभग 20 फीसदी पद प्रथम और द्वितीय श्रेणी के हैं. जहां अब अन्य लोगों को प्रभारी बनाकर काम चलाया जा रहा है. प्रमोशन की बहाली हो सके, इसके लिए कर्मचारी लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है.
4 वर्षों से कर रहे हैं प्रमोशन का इंतजार
मध्य प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में काम कर रहे कर्मचारी पिछले 4 वर्ष से ज्यादा प्रमोशन की मांग कर रहे हैं. इसके लिए 2 दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था. इनमें पशुपालन, सहकारिता सहित आधा दर्जन विभागों के कर्मचारी शामिल हैं.
क्या है मामला?
दरअसल, एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002 को खारिज कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, तो कोर्ट ने मामले में यथास्थिति रखने के निर्देश दिए. इसके बाद से राज्य सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक लगी हुई है. तब से अब तक 65 हजार से ज्यादा कर्मचारी बिना प्रमोशन का लाभ मिले ही रिटायर हो चुके हैं, और 5 हजार अन्य लोगों के रिटायर होने पर यह संख्या अब 70 हजार को पार कर जाएगी.
हालांकि जबलपुर हाईकोर्ट में लगी याचिका पर नवंबर में सुनवाई शुरू होनी है. जबकि कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में लगाई गईं याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है और कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर नवंबर में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है.