Crude Prices/Petrol & Diesel: यूरोप और अमेरिका सहित कई देशों में कोरोना वायरस की नई लहर देखने को मिल रही है. यूरोप में कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों के बीच फ्रांस सहित कुछ देशों ने नए सिरे से लॉकडाउन का एलान किया है. लॉकडाउन रिटर्न से एक बार फिर तेल कंपनियों को डिमांड घटने का डर सता रहा है. कुछ देशों ने क्रूड पर छूट भी देनी शुरू कर दी है. इसका नतीजा यह हुआ कि कल के कारोबार में क्रूड 5 फीसदी फिसलकर 36 डॉलर प्रति बैरल के आस पास आ गया. एक्सपर्ट का मानना है कि लॉकडाउन बढ़ता है तो कई देशों से डिमांड कमजोर होगी. ऐसे में क्रूड इस साल मौजूदा भाव से 15 से 20 फीसदी तक सस्ता हो सकता है. पेट्रोल, डीजल का दाम कम करने का दबाव झेल रही कंपनियां कंज्यूमर्स को फेस्टिव राहत दे सकती हैं.
क्रूड में फिर शुरू हुई गिरावट
बुधवार और गुरूवार के कारोबार में ब्रेंट क्रूड में 5 फीसदी से ज्यादा गिरवट देखने को मिली है. यह 36 डॉलर प्रति डॉलर के आस पास आ गया है. वहीं, WTI क्रूड 36 डॉलर से नीचे चला गया जो जून के बाद सबसे लो लेवल है. असल में अमेरिकल पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट (API) ने यह जानकारी दी कि क्रूड की इन्वेट्री उम्मीद से ज्यादा रही है. 23 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में 4.5777 मिलिसन बैरल रही. बाद में ईआईए की ओर से कंनफर्म भी हुआ कि वहां क्रूड का प्रोडक्शन उम्मीद से ज्यादा रहा है. इसके बाद से क्रूड में गिरावट शुरू हुई. ब्रेंट क्रूड पहले 40 डॉलर से नीचे आया, वहीं 36 डॉलर तक टूट गया. दूसरी ओर अमेरिकन क्रूड भी 4 महीने के लो पर आ गया.
मौजूदा स्तर से 20% सस्ता हो सकता है क्रूड
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करंसी), अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा गिरावट एक और लॉकडाउन से क्रूड की डिमांड में कमी आने की आशंका के अलावा क्रूड के बढ़े हुए प्रोडक्शन की वजह से है. कोरोना वायरस के मामले कुछ देशों में वापस आने लगे हैं. जर्मनी और फ्रांस जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने लॉकडाउन का एलान किया है. आगे भी कुछ देश ऐसा कर सकते हैं. दूसरी ओर अमेरिका और लीबिया में क्रूड का प्रोडक्शन बढ़ा है, जिससे डिमांड और सप्लाई का बैलेंस बिगड़ा है.
उनका कहना है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर अभी कुछ फाइनल नहीं हो पाया है. जबतक वैक्सीन बाजार में नहीं आती, कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था पर दबाव रहेगा. ऐसे में आगे भी क्रूड उत्पादक कंपनियों को डिमांड कमजोर रहने की आशंका बन गई है. इसी वजह से कई कंपनियों ने डिस्काउंट देना शुरू कर दिया है कि उनका प्रोडक्शन खप जाए. ऐसे में आगे क्रूड में फिर बड़ी गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता है. क्रूड इस साल 32 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ सकता है.
पेट्रोल-डीजल में आ सकती है गिरावट
एक्सपर्ट का कहना है कि इस पूरे साल क्रूड सस्ता बना रहा है. अप्रैल में क्रूड 15 डॉलर तक कमजोर हुआ था. उसके बाद भी क्रूड बढ़ा है, लेकिन 40 डॉलर की रेंज में बना रहा है. आगे क्रूड और सस्ता होने का अनुमान है. वहीं इस साल पेट्रोल के भाव बढ़े हैं या स्थिर रहे हैं. भारत में अपनी जरूरतों का 82 फीसदी क्रूड इंपोर्ट किया जाता है. ऐसे में ब्रेंट क्रूड की ओर से कंपनियों को राहत मिलती है तो वे कंज्यूमर्स को राहत दे सकती हैं. अगर क्रूड में 15 से 20 फीसदी की कमी आती है तो पेट्रोल और डीजल में 2 से 2.5 रुपये की कमी की जा सकती है. असल में क्रूड का दाम जिस रेश्यो में घटता है, उसके एक चौथाई रेश्यो में तेल की कीमतें कम होने का ट्रैक रिकॉर्ड पहले रहा है.
इस साल क्रूड 38 फीसदी सस्ता
इस साल की बात करें तो क्रूड 38 फीसदी सस्ता हुआ है. वहीं एक साल में इसके भाव 33 फीसदी से ज्यादा गिरे हैं. लेकिन भारत में पेट्रोल और डीजल पर ग्राहकों को राहत नहीं मिली है. पिछले 26 दिनों से पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई परिवर्तन नहीं आया है.