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छोटे व्यापारियों को GST में बड़ी राहत, सिर्फ एक SMS से भर सकेंगे टैक्स रिटर्न

GST

नई दिल्ली: छोटे व्यापारियों के लिए GST रिटर्न (GST return) दाखिल करने की एक और प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है. GST नेटवर्क (GSTN) ने कंपोजीशन टैक्सपेयर्स (Composition taxpayers) के लिए जिन पर देनदारी NIL है, SMS के जरिए तिमाही रिटर्न भरने की सुविधा शुरू की है. कंपोजीशन स्कीम के तहत कुल 17.11 लाख टैक्सपेयर्स रजिस्टर्ड हैं, इनमें से 20 परसेंट यानी 3.5 लाख टैक्सपेयर्स NIL रिटर्न वाले हैं. 

इसका मतलब ये हुआ कि छोटे व्यापारी या छोटे बिजनेस हाउस जिनपर कोई GST बकाया या टैक्स की देनदारी नहीं है, अब SMS भेजकर अपना जीएसटी रिटर्न (GST return) फाइल कर सकेंगे. उन्हें GST पोर्टल पर जाने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि जिन बिजनेस हाउस पर टैक्स की देनदारी है, वो इस सुविधा का फायदा नहीं उठा सकेंगे 

ऐसे टैक्सपेयर्स फॉर्म GST CMP-08 में SMS के जरिए NIL स्टेटमेंट भर सकंगे, उन्हें GSNT के पोर्टल पर जाकर लॉग-इन नहीं करना होगा.  CMP-08 एक तिमाही स्टेटमेंट होता है जिसे कंपोजीशन टैक्सपेयर्स को भरना होता है. SMS के जरिए टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करना है GSTN ने इसका भी तरीका बताया है. 

SMS के जरिए GST रिटर्न भरने का तरीका 

1. असेसी (assessee) को अपने मोबाइल में ‘NIL <space>C8<space>GSTIN<space>Return Period’ टाइप करना होगा और उसे 14409 पर भेजना होगा.  
2. SMS भेजने के बाद टैक्सपेयर को 6 डिजिट का वेरिफिकेशन कोड उसके मोबाइल पर आएगा
3. इस 6 डिजिट कोड को दोबारा 14409 पर भेजना होगा ताकि NIL फॉर्म CMP-08 कंफर्म हो सके
4. GST पोर्टल टैक्सपेयर्स को मोबाइल, ई-मेल पर Application Reference Number (ARN) भेजेगा
5. टैक्सपेयर GST पोर्टल पर फॉर्म  CMP-08 का स्टेटस देख सकता है, जहां पर ये ‘Filed’ दिखेगा 
6. अगर टैक्सपेयर ने बताए गए तरीके से SMS नहीं भेजा, तो उसका रिटर्न दाखिल नहीं होगा.

कौन होते हैं कंपोजीशन टैक्सपेयर्स 

1. ऐसे टैक्सपेयर्स जिनका सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये या इससे कम होता है.
2. ऐसे टैक्सपेयर्स को 1 परसेंट, 5 परसेंट और 6 परसेंट की दर पर GST जमा करना होता है
3. मैन्यूफैक्चरर्स के लिए GST रेट 1 परसेंट, रेस्टोरेंट्स के लिए GST रेट 5 परसेंट और दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए GST रेट 6 परसेंट होता है
4. इन टैक्सपेयर्स को केवल तिमाही आधार पर ही टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है
5. ऐसे टैक्सपेयर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलता है 
6. ऐसे टैक्सपेयर्स टैक्स इनवॉयस भी जारी नहीं कर सकते 

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