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Income Tax Return 2020: आसानी से ऑनलाइन ITR कैसे फाइल करें, जानिए पूरी प्रॉसेस

Income Tax Return 2020: टैक्सपेयर्स को ITR फाइल करना आवश्यक होता है. इसे ऑफलाइन, ऑनलाइन और सॉफ्टवेयर, तीन तरीकों से भरा जा सकता है. इनमें से ऑफलाइन मोड में तो सभी प्रकार के आईटीआर फॉर्म्स भरे जा सकते हैं लेकिन ऑनलाइन सिर्फ आईटीआर-1 और आईटीआर-4 ही भरे जा सकते हैं. इसके बाद तीसरे विकल्प के तौर पर सॉफ्टवेयर है जो सबसे बेहतर कहा जा सकता है. सॉफ्टवेयर से सभी प्रकार के आईटीआर भरे जा सकते हैं. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए टैक्सपेयर 30 नवंबर 2020 तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि आईटीआर भरने के सारे विकल्प में क्या हैं और इन्हें किस तरह से भरा जा सकता है.

ITR फाइल करने के विकल्प

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के तीन तरीके हैं.
1. ऑफलाइन- जावा या एक्सेल फॉर्मेट में एप्लिकेबल आईटीआर फॉर्म डाउनलोड कर उसे ऑफलाइन भरें. एक्सएमएल जेनेरेट कर उसे ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करके अपलोड करें. इस मोड के जरिए सभी प्रकार के आईटीआर फॉर्म भरे जा सकते हैं.

2. ऑनलाइन- ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन कर ऑनलाइन रिटर्न तैयार कर सबमिट कर दें. हालांकि ऑनलाइन मोड में सिर्फ आईटीआर-1 और आईटीआर-4 ही फाइल किया जा सकता है.

3. टैक्स रिटर्न फाइलिंग सॉफ्टवेयर के जरिए

इस तरह फाइल करें आईटीआर

ऑफलाइन ITR फाइल

अगर आप अपना आईटीआर ऑफलाइन फाइल करना चाहते हैं तो ये स्टेप अपनाएं.
1. इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाएं.
https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/

2. आईटी रिटर्न प्रिपरेशन सॉफ्टवेयर पर क्लिक करें और उसके बाद मेन्यू में जाकर डाउनलोड पर क्लिक करना है. अपना असेसमेंट ईयर चुनें और एप्लिकेबल आईटीआर अपनी सुविधानुसार जावा या एक्सेल फॉर्मेट में डाउनलोड करें.

3. आईटीआर फॉर्म को भरें. (अगर आप अधिक समय नहीं लगाना चाहते हैं तो प्री-फिल्ड एक्सएमएल भी डाउनलोड कर सकते हैं जिसमें कई जानकारियां पहले से भरी होंगी. इसके लिए ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन कर माय अकाउंट मेन्यू के तहत डाउनलोड प्री-फिल्ड एक्सएमएल पर क्लिक कर डाउनलोड कर लें.)

4. आईटीआर फॉर्म में भरी गई सभी जानकारी को वैलिडेट करें और टैक्स की गणना करें.

5. एक्सएमएल को जेनेरेट कर सेव करें.

6. ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन करें और ई-फाइल मेन्यू के तहत इनकम टैक्स रिटर्न को सेलेक्ट करें.

7. पैन उसमें पहले से भरा आएगा. अपना एसेसमेंट इयर, आईटीआर फॉर्म नंबर, फाइलिंग टाइप (ओरिजिनल या रिवाइज्ड रिटर्न) और सबमिशन मोड (अपलोड एक्सएमएल) चुनें.

8. अपने आईटीआर को वेरिफाई करने के लिए नीचे लिखे किसी भी ऑप्शन को सेलेक्ट करें.
(i) डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी)
(ii) आधार ओटीपी
(iii) माय अकाउंट के तहत जेनेरेट ईवीसी विकल्प के जरिए पहले से ही जेनेरेट किया हुआ ईवीसी.
(iv) I would like to e-verify later. Please remind me. (इसमें यह है कि आप बाद में आईटीआर को प्रमाणित करना चाहते हैं और सिस्टम से कह रहे हैं कि वह आपको ध्यान दिला दे.)

(v) I don’t want to e-verify this Income Tax Return and would like to send signed ITR-V through normal or speed post to “Centralized Processing Center, Income Tax Department, Bengaluru-560 500” (इसमें यह है कि आप आईटीआर को ऑनलाइन नहीं वेरिफाई करना चाहते हैं और नॉर्मल या स्पीड पोस्ट के जरिए बेंगलूरु स्थित इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट आईटीआर-5 की हस्ताक्षरित कॉपी भेजना चाहते हैं.)

इनमें से किसी भी ऑप्शन को सेलेक्ट कर Continue पर क्लिक करें.

9. अपनी आईटीआर एक्सएमएल फाइल को अटैच कर सबमिट पर क्लिक करें.

10. अगर आपने आठवें स्टेप में डीएससी का विकल्प सेलेक्ट किया था तो अपना डिजिटल सिग्नेचर अटैच करिए. आधार ओटीपी सेलेक्ट किया था को अपने आधार नियामक के पास रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी को भरिए. अगर ईवीसी को चुना था तो रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ईवीसी भरिए. अगर आपने e-verify letter को चुना था को आईटीआर आपका सबमिट तो हो चुका है लेकिन अभी यह वेरिफाई नहीं हुआ है. अगर आपने “I don’t want to e-verify” चुना है तो या तो आप माय अकाउंट मेन्यू में जाकर ई-वेरिफाई रिटर्न पर क्लिक करें और ई-वेरिफाई कर दें, या तो आप उसे हस्ताक्षर करके बेंगलूरु भेज दें.

11. आईटीआर को सबमिट कर दें.

ऑनलाइन रिटर्न फाइल

इस मोड से सिर्फ आईटीआर-1 और आईटीआर-4 ही फाइल हो सकते हैं. इसके तहत वेतन से होने वाली आय और (या) अन्य स्रोत से या हाउस प्रॉपर्टीज से होने वाली आय वाले ही आईटीआर फाइल कर सकते हैं.
1. इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाएं.https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/

2. ई-फाइलिंग में लॉग इन करिए और उसके बाद ई-फाइल मेन्यू के तहत इनकम टैक्स रिटर्न सेलेक्ट करिए.

3. पैन उसमें पहले से भरा (ऑटो पॉपुलेटेड) आएगा. अपना एसेसमेंट इयर, आईटीआर फॉर्म नंबर, फाइलिंग टाइप (ओरिजिनल या रिवाइज्ड रिटर्न) और सबमिशन मोड (प्रिपेयर एंड सबमिट ऑनलाइन) चुनें.

4. आईटीआर फॉर्म में एप्लिकेबल और मैंडेटरी फील्ड्स भरें. (किसी भी प्रकार के डेटा लॉस से बचने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर पर Save Draft’ पर क्लिक करते रहें.)

5. “Taxes Paid and Verification” टैब में वेरिफिकेशन ऑप्शन चुनिए.
(i) I would like to e-Verify (इसमें आपके पास वैध आधार या प्रीवैलिडेटेड डीमैट अकाउंट या डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट होना चाहिए. डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट आपके पैन कार्ड के साथ ई-फाइलिंग के लिए रजिस्टर्ड होना चाहिए.)
(ii) I would like to e-Verify later within 120 days from date of Filing (इसमें यह है कि आप अभी ई-वेरिफाई नहीं करना चाहते हैं और फाइलिंग के 120 दिनों के भीतर इसे वेरिफाई करेंगे.)
(iii) I don’t want to e-Verify and would like to send signed ITR-V through normal or speed post to “Centralized Processing Center, Income Tax Department, Bengaluru-560 500” within 120 days from date of filing (इसमें यह है कि आप वेरिफिकेशन करके पोस्ट के जरिए बेंगलूरु स्थित इनकम टैक्स के ऑफिस भेजेंगे.)

6. आईटीआर के सभी डेटा को वेरिफाई करने के लिए “Preview and Submit” पर क्लिक करें.

7.आईटीआर सबमिट करें.

8.आईटीआर का ई-वेरिफिकेशन करना है,
अगर आपने पांचवे स्टेप में पहला विकल्प “I would like to e-Verify” चुना है तो आधार नियामक यूआईडीएआई के पास रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आए आधार ओटीपी को भरें. रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आए हुए ईवीसी को भरें.
अगर आपने दूसरा विकल्प “E-verify later” चुना है तो आईटीआर सबमिट हो जाएगा लेकिन यह वेरिफाइड नहीं होगा.
अगर आपने तीसरा विकल्प “I don’t want to e-verify” चुना है तो या तो आप माय अकाउंट में जाकर ई-वेरिफाई रिटर्न पर क्लिक करके ई-वेरिफाई कर सकते हैं, या उसे हस्ताक्षर कर बेंगलूरु भेज दें.

9. ईवीसी या ओटीपी को 60 सेकंडस् के अदंर भरना होता है, अन्यथा यह ऑटोमैटिकली सबमिट हो जाएगा और यही प्रक्रिया ई-वेरिफाइड लैटर के दौरान है जिसमें माय अकाउंट में “e-verify return” पर क्लिक करना है.

सॉफ्टवेयर

यह मोड सबसे बेहतर कहा जा सकता है और इसमें सभी प्रकार के आईटीआर फाइल किए जा सकते हैं. सॉफ्टेवयर के जरिए आईटीआर भरना आसान है क्योंकि इसे यूजर प्रिफरेंसेज और उनकी जरूरतों के मुताबिक डिजाइन किया गया है. इसके अलावा यह बार-बार एक डेटा भरने की जरूरत खत्म कर देता है और एक बार बनाए गए मास्टर डेटा से जरूरी डेटा ले लेता है. सॉफ्टवेयर कंपेरिजन, रिकांसिलेशन और एरर रेक्टिफिकेशन की सुविधा प्रदान करता है. रिटर्न फाइल करने से पहले यूजर सॉफ्टवेयर की मदद से प्रिफिल यानी पहले से भरा हुआ फॉर्म प्राप्त कर सकता है और गलती सुधार सकता है. इससे यूजर को कानूनी अड़चनों में बच रहता है.

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