नई दिल्लीः भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने कहा है कि बिना किसी एग्जाम के अप्रेंटिस युवाओं को नियमित नौकरी पर नहीं रखा जा सकता है. रेलवे ने कहा है कि वो 2017 से पहले के नियमों में बदलाव कर चुका है और अब पुरानी व्यवस्था को किसी भी तरह से बहाल करना मुश्किल है.
रेलवे ने जारी किया है बयान
रेलवे ने बयान जारी करते हुए कहा है कि खुली प्रतियोगिता के बिना प्रशिक्षित अप्रेंटिस (प्रशिक्षुओं) की नियमित नियुक्ति सरकार के नियमों के खिलाफ है. रेलवे की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि हाल में ऐसी खबरें आयी हैं कि रेलवे प्रतिष्ठानों में प्रशिक्षित अप्रेंटिस महाप्रबंधकों को दी गई पूर्व की शक्तियां बहाल करने के साथ ही नियमित नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. महाप्रबंधकों को दी गई ये शक्तियां मार्च 2017 में समाप्त कर दी गई थीं.
मार्च 2017 से पहले महाप्रबंधक खुली प्रतियोगिता के बिना किसी प्रशिक्षित अप्रेंटिस की नियमित नियुक्ति कर सकते थे. अपरेंटिस अधिनियम, 2016 के अनुसार रेलवे ने लेवल-1 भर्ती के लिए अधिसूचित 1.03 लाख रिक्तियों में अप्रेंटिस के लिए 20 फीसदी (यानी 20,734 रिक्तियों) रिक्तियां आरक्षित की हैं. यह भर्ती प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है.
भारतीय रेलवे ने कहा है कि, ‘यह ध्यान दिया जा सकता है कि बिना किसी खुली प्रतियोगिता के नियमित नियुक्तियां, जैसी कुछ द्वारा मांग की जा रही है, संवैधानिक प्रावधानों और भारत सरकार की नियमित भर्ती के नियमों के खिलाफ होगी.देश के सभी पात्र नागरिक नियमित नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा और आवेदन करने के हकदार हैं. बिना किसी खुली प्रतिस्पर्धा के सीधी भर्ती नियमों के खिलाफ है.’
रेलवे ने कहा कि इसके अलावा 2016 में अपरेंटिस अधिनियम में किए गए संशोधन के अनुसार प्रत्येक नियोक्ता को अपने प्रतिष्ठान में प्रशिक्षित अप्रेंटिस को नियुक्त करने की एक नीति बनानी होगी. इसे ध्यान में रखते हुए रेलवे ने स्तर एक की भर्ती में सभी को उचित अवसर प्रदान करने के लिए 20 प्रतिशत रिक्तियां इस तरह के अप्रेंटिस के लिए रखी हैं.