आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म 7 तरह के होते हैं और अलग-अलग कैटेगरी के करदाताओं को उनकी कैटेगरी के लिए तय फॉर्म भरना होता है. ये कैटेगरी टैक्सपेयर के स्टेटस, आय की प्रकृति और थ्रेसहोल्ड लिमिट, कारोबार या व्यक्ति के काम की प्रकृति आदि के आधार पर तय होती है. अगर आप वेतनभोगी यानी सैलरीड क्लास टैक्सपेयर हैं तो आपको ITR-1 ‘सहज’ फॉर्म भरना होता है.
ITR-1 ‘सहज’ फॉर्म मुख्य तौर पर सैलरी प्राप्त करने वाले लोगों के लिए है. यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है. यह आय उन्हें सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी व अन्य स्त्रोत जैसे ब्याज से प्राप्त होती है और कृषि आय 5000 रुपये तक है. ITR-1 ‘सहज’ उन व्यक्तियों के लिए नहीं है, जो या तो किसी कंपनी में निदेशक हैं या जिन्होंने गैरसूचीबद्ध इक्विटी शेयरों में निवेश किया हुआ है.
गौरतलब है कि आकलन वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख बढ़कर 30 नवंबर 2020 हो चुकी है. आइए अब बताते हैं कि आकलन वर्ष 2020-21 के लिए नए ITR 1 ‘सहज’ फॉर्म में क्या है और इसमें करदाताओं से क्या अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है…
आय की डिटेल्स
- सैलरी/पेंशन से आय (आम नागरिकों के लिए)
- वन हाउस प्रॉपर्टी से आय या नुकसान
- परिवार की पेशन (आम नागरिकों के लिए)
- दूसरे स्रोतों से आय (उस आय से अलग जिन पर स्पेशल रेट पर टैक्स लगता है जिसमें लॉटरी से जीत और रेस होर्स या इनके अंदर नुकसान हैं)
बढ़ी हुई अवधि में किए गए निवेशों के लिए ‘शेड्यूल DI’
कोविड19 के चलते वित्त वर्ष 2019-20 के लिए टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए निवेश, जमा, भुगतान आदि करने के लिए समयसीमा को बढ़ाकर 31 जुलाई 2020 किया गया. यह चैप्टर VI-A, सेक्शन 10AA और सेक्शन 54 से 54GB के तहत क्लेम करने के लिए है. जनवरी में जारी हुए ITR फॉर्म में ऐसा कोई विकल्प नहीं था, जिसमें टैक्सपेयर्स द्वारा अगर वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद निवेश किया जाता है, तो डिडक्शन लिया जा सके. इसलिए मई में ITR फॉर्म्स को दोबारा जारी किया गया और एक नया शेड्यूल DI ITR फॉर्म्स में डाला गया है, जिससे टैक्सपेयर्स बढ़ी हुई अवधि के दौरान किए गए निवेश या जमा पर डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं. शेड्यूल DI, ITR 1 ‘सहज’ फॉर्म में भी है.
सेक्शन 139(1) के 7वें नियम के तहत रिटर्न फाइल करने पर डिटेल्स
यह सुनिश्चित करने के लिए कि जो व्यक्ति ज्यादा मूल्य वाले ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, वे इनकम टैक्स रिटर्न दें, इसके लिए फाइनेंस (नंबर 2) एक्ट, 2019 द्वारा सेक्शन 139 में सातवां नियम जोड़ा गया. इस नियम के तहत हर व्यक्ति जिसे इस वजह से रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होती कि उसकी आय अधिकतम छूट की सीमा को पार नहीं करती, उसे ITR फाइल करना होगा, अगर उसने पिछले साल में:
- बैंक या को-ऑपरेटिव बैंक में रखे एक या ज्यादा करंट अकाउंट में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किए हैं.
- विदेश यात्रा की वजह से अपने या किसी दूसरे व्यक्ति के लिए 2 लाख रुपये या उससे ज्यादा खर्च किए हैं.
- बिजली बिल के भुगतान के लिए 1 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं.
- अगर व्यक्ति को सेक्शन 139(1) के सातवें नियम के तहत स्थितियों के लिए इनकम रिटर्न फाइल करना है, तो उसे ITR फॉर्म में उपयुक्त डिटेल्स को भरना होगा. इनमें करंट अकाउंट में जमा की गई राशि, विदेश यात्रा पर खर्च हुई राशि या बिजली के बिल के लिए दी गई राशि शामिल है.
अब नहीं देनी है यह जानकारी
जनवरी में जारी किए गए ITR-1 में सैलरी से संबंधित विस्तृत जानकारी और हाउस प्रॉपर्टी इनकम की जानकारी को मांगा गया था जैसे TAN, नियोक्ता का नाम और घर का पता, किरायेदार की डिटेल जैसे नाम, पैन और आधार. वर्तमान ITR-1 के मुताबिक, ये डिटेल अब नहीं मांगी गई हैं