Coronavirus Updates: कोरोना महामारी जितना तेजी से फैलता जा रहा है, उतना ही रहस्यमय इसका व्यवहार है. कोरोना से संक्रमित होने वाले कुछ लोगों में इसके लक्षण तक नहीं दिखाई देते हैं और कुछ लोगों को गले में खराश से लेकर जानलेवा निमोनिया जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना जैसी खतरनाक महामारी से जो लोग उबर चुके हैं, उनमें भी अधिकतर लोगों की स्थिति पूरी तरह से सही नहीं है. शोधकर्ता इस समय कोरोना की उम्र का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जैसे कि कोरोना से ठीक होने के बावजूद उनमें कोरोना के दुष्प्रभाव कितने समय तक रहेंगे. उदाहरण के लिए कोरोना से पीड़ित होने के बाद कुछ लोगों की सूंघने की शक्ति खत्म हो जाती है लेकिन ठीक होने के बाद भी उनकी सूंघने की शक्ति आने में लंबा समय लग जा रहा.
कोरोना से ठीक होने के बाद भी लक्षण
कई सर्वे और प्रारंभिक शोध से यह पता चला है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोगों को थकान, सांस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, अनिद्रा, सीने में दर्द, जोड़ों में दर्द, खांसी, स्वाद और सूंघने की शक्ति खत्म होना, रुक रुक कर होने वाला बुखार और त्वचा पर पड़ने वाले रैशेज जैसे लक्षण सामने आते हैं. कुछ लोगों को हियरिंग प्राब्लम, ब्रेन फॉन, मानसिक अस्वस्थता और बाल गिरने जैसी लक्षण भी सामने आए हैं, हालांकि अभी इन लक्षणों पर शोधकर्ताओं की पुष्टि होनी बाकी है. इन सभी लक्षणों के अतिरिक्त दिल, फेफड़े और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं भी सामने आ रहे हैं जिसमें इनकी कार्यप्रणाली अब पहले जैसी नहीं रही.
कोरोना से ठीक होने के बाद भी बने रहे लक्षण
कोरोना संक्रमितों के ठीक होने के बाद लक्षण कितने समय तक रहेगा, यह निर्भर करता है कि उस पर कोरोन का संक्रमण किस तरह से हुआ है. कम गंभीर (माइल्ड से मॉडेरेट) कोरोना संक्रमित दो तिहाई लोगों में कम से कम एक लक्षण संक्रमण के करीब 60 दिनों तक रहता है. यह खुलासा एक फ्रांसीसी अध्ययन में हुआ है जिसमें मार्च से जून के बीच के कम गंभीर 150 मरीजों पर अध्ययन किया गया.
ऐसा ही एक अध्ययन करीब 150 लोगों पर इटली में गंभीर रूप से संक्रमित लोगों पर हुआ जिनमें 87 फीसदी लोगों को करीब दो महीने तक थकावट और सांस की दिक्कत जैसा कम से कम एक लक्षण बना रहा. अमेरिका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक करीब 35 फीसदी लोग जो अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे, कोरोना पॉजिटिव होने के बाद से तीन हफ्ते तक सामान्य नहीं हो पाए.
अनिद्रा और पर्किंसन जैसी बीमारी की समस्या
कोरोना संक्रमितों को ठीक होने के बाद भी लक्षण का अनुभव कितनी बड़ी समस्या है, इसकी अभी जानकारी नहीं है क्योंकि यह नई बीमारी है. शोधकर्ताओं ने अभी तक मरीजों पर लंबे समय तक इस पर अध्ययन नहीं किया है. अभी तक के अध्ययन में यह सामने आया है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद फेफड़े और दिल की कार्यप्रणाली में दिक्कत और थकान जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं. कुछ शोधकर्ताओं के मुताबिक इससे अनिद्रा और पर्किंसन जैसी बीमारी के खतरे सामने आ सकते हैं.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ कोरोना ही लंबे समय तक शरीर पर प्रभाव डालता है. सामान्य सर्दी, इंफ्लुएंजा, HIV और हेपेटाइटिस बी जैसी बीमारियां भी पोस्ट-वायरल सिंड्रोम पैदा करती हैं. इससे पहले 2003 सॉर्स वायरस के प्रभाव में आने से कनाडा के टोरंटो में 21 स्वास्थ्यकर्मियों को तीन साल पोस्ट-वायरल सिंड्रोम से जूझना पड़ा था. हांगकांग में कुछ सार्स पीडितों को करीब दो साल तक फेफड़े में समस्या बनी रही.