केंद्र सरकार ने एल-95 मास्क के निर्यात को लेकर लगाए गए प्रतिबंध को मंगलवार को हटा दिया है. इसकी जानकारी डायरेक्टरोट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने अधिसूचना जारी कर दिया है. यह भारत सरकार की वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है. सरकार ने निर्यात पर लगा प्रतिबंध देश में बनने वाले मास्क के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उठाया है. इससे पहले केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के खिलाफ देश की जरूरतों को देखते हुए अगस्त में मास्क निर्यात के लिए हर महीने 50 लाख इकाई की सीमा तय की थी.
N95 मास्क का स्वतंत्र रूप से निर्यात संभव
डीजीएफटी ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि एन-95/ एफएफपी-2 मास्क और इसी तरह के अन्य मास्क पर लगाए गए सभी प्रतिबंध को हटा रही है और अब इसका स्वतंत्र रूप से निर्यात किया जा सकता है.
कुछ समय तक पहले तक बड़ी किल्लत
कुछ समय पहले तक इस प्रकार के मास्क की किल्लत के कारण सरकार ने इसके निर्यात की सीमा तय किया था. एन 95 मास्क की इतनी किल्लत थी कि स्वास्थ्यकर्मियों को इन्हें दोबारा इस्तेमाल करना पड़ रहा था. हालांकि शोधकर्ताओं ने N95 मास्क को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए ऊष्मा और नमी (हीट एंड ह्यूमिडिटी) का संयोजन करके उसे संक्रमण-मुक्त यानी डिसइन्फेक्ट करने का एक नया तरीका खोजा है. ऊर्जा विभाग के एसएलएसी नेशनल एक्सीलिरेटर लेबोरेटरी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की चिकित्सकीय शाखा के शोधकर्ताओं के मुताबिक हाई रिलेटिव ह्यूमिडिटी में एन95 मास्क को धीरे-धीरे गर्म करने से मास्क के भीतर फंसे SARS-CoV-2 वायरस को निष्क्रिय किया जा सकता है और मास्क की गुणवत्ता भी बनी रहती है.
कोरोना से लड़ाई में कारगर हथियार है मास्क
जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती है, मास्क ही कोरोना से लड़ने का सबसे सशक्त हथियार है. इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. मास्क से वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है. इसीलिए सरकार भी सभी कोे फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.