कोरोना संकट के इस दौर में पैसा बचाए रखना बेहद जरूरी है। ऐसे समय में अतिरिक्त देनदारी अपने सिर लेने से परहेज किया जाना चाहिए। ऐसे वक्त में जब इकॉनमी मंदी के दौर से गुजर रही है, वेतनभोगी और स्वरोजगार करने वाले लोगों की आय प्रभावित हो रही है। भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि अतिरिक्त देनदारी से आप पर दबाव और बढ़ेगा। कोविड-19 की वैक्सीन का दूर-दूर तक पता नहीं है और संक्रमण के मामले रोज बढ़ रहे हैं।
घर खरीदें या किराए पर रहें?
अगर कोरोना काल में आपकी नौकरी और सैलरी सुरक्षित है और आप कुछ समय से घर खरीदने की फिराक में हैं, तो यह आपके लिए उपयुक्त समय है। पिछले 4-5 साल में प्रॉपर्टी की कीमत में कमी आई है और ब्याज दरों भी काफी नीचे आ गई हैं। साथ ही बाजार में कई रेडी टु मूव इनवेंट्री हैं। मौजूदा स्थिति में खरीदार के पास मोलभाव करने की हैसियत है। 15 साल में यह पहला मौका है जब खरीदार अपनी शर्तों पर घर खरीदने की स्थिति में है। इससे पहले 10-15 साल तक बिल्डर्स और सप्लायर्स का बोलबाला रहा। लेकिन जो लोग वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, उन्हें फिलहाल घर खरीदने से परहेज करना चाहिए। उनके लिए फिलहाल किराए पर रहना सही होगा।
क्या फैक्टर दिमाग में रखें
जो मकान खरीदने की स्थिति में हैं, उन्हें भी सोचसमझकर फैसला लेने की जरूरत है। किराए की इनकम में कमी का मतलब है कि प्रॉपर्टी की कीमत उसकी असल कीमत से ज्यादा हो सकती है और भविष्य में उसके बढ़ने की संभावना सीमित होगी। इसलिए संभव है कि जो प्रॉपर्टी आप खरीदना चाहते हैं, उसकी कीमत अगले कुछ सालों तक उसी स्तर पर बनी रहे। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी प्रॉपर्टी की rental yield 3.5 फीसदी से अधिक है, तभी उसे खरीदना चाहिए। कोरोना के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं और शहरों से पलायन कर गए हैं। ऐसे में अगले कुछ सालों तक किराए में कमी होगी।
क्या निवेश के लिए खरीदनी चाहिए प्रॉपर्टी?
आने वाले दिनों में किराया घटने की संभावना है, पिछले 10 साल से प्रॉपर्टी की कीमतों में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है और रियल एस्टेट लिक्विड इनवेस्टमेंट नहीं है। ऐसे में रिटेल इनवेस्टर्स के लिए इनवेस्टमेंट के परपज से रियल एस्टेट खरीदना बुद्धिमानी नहीं होगी। अमीर निवेशकों के लिए यह फायदे का सौदा हो सकता है क्योंकि अभी वे 20-30 फीसदी डिसकाउंट का फायदा उठा सकते हैं। रिटेल निवेशकों के लिए लिक्विड एसेट में निवेश करना बेहतर रहेगा।
महामारी और मंदी को दिमाग में रखना चाहिए?
ऐसे वक्त में जब इकॉनमी मंदी के दौर से गुजर रही है, वेतनभोगी और स्वरोजगार करने वाले लोगों की आय प्रभावित हो रही है। भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि अतिरिक्त देनदारी से आप पर दबाव और बढ़ेगा। कोविड-19 की वैक्सीन का दूर-दूर तक पता नहीं है और संक्रमण के मामले रोज बढ़ रहे हैं। ऐसे में आपात स्थिति के लिए अपने पास नकदी रखने में ही समझदारी है। अभी मकान लेने का मतलब होगा कि अपने पास रखे पैसे देना और बैंक से लोन लेकर अतिरिक्त देनदारी लेना। ऐसे में यही उचित होगा कि महामारी खत्म होने और इकॉनमी को पटरी पर लौटने के बाद ही घर खरीदने का फैसला किया जाए।